कोसी-सौरा के पार की जंग में दिग्गज तलाश रहे वजूद की धारा

प्रकाश वत्स, पूर्णिया। आयताकार क्षेत्रफल वाले पूर्णिया जिले में इस बार जिला परिषद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव दिलचस्प मोड़ लेता जा रहा है। पूरब में सौरा नदी तो पश्चिम में कोसी नदी इस जिले के दो अहम क्षेत्रों का निर्धारण करती है। कुर्सी की यह लड़ाई अब कोसी व सौरा के पार का स्वरुप लेती जा रही है। इस रोचक जंग के बीच जिले के सियासी दिग्गज भी अपनी वजूद की धारा तलाशने में पीछे नहीं है। पश्चिम क्षेत्र से पूर्व मंत्री सह रुपौली विधायक बीमा भारती की पुत्री रानी कुमारी के साथ पूर्वी क्षेत्र से डगरुआ की जिला परिषद सदस्य वहीदा सरवर कमान कस मैदान में उतर चुके हैं। इधर जिला परिषद उपाध्यक्ष पद के लिए भी करीब करीब कोसी व सौरा पार वाली स्थिति ही बनी हुई है। निवर्तमान जिला परिषद उपाध्यक्ष नीरज सिंह उर्फ छोटू सिंह के सामने जिला परिषद सदस्य रइसुल आजम के होने की चर्चा अब आम हो गई है। बहरहाल कुल 34 जिला परिषद सदस्य वाले इस जंग में 18 का आंकड़ा सभी के लिए अहम है, जो पाना शायद इतना भी आसान नहीं है। बता दें कि पूर्णिया जिला परिषद अध्यक्ष का पद अति पिछड़ा के लिए आरक्षित है। नेपथ्य में शुरु है अघोषित जंग नेपथ्य में इन कुर्सियों के बहाने एक अघोषित जंग भी शुरु हो चुकी है। माना यह जा रहा है कि इस जंग में दलीय बांध भी टूटना तय है। जातीय धारा भी इसमें गुम होनी तय है। हर हस्ती बेहद ही चतुराई से ऐसे दावेदारों को मदद करना चाह रहे हैं जो उनकी सरपरस्ती में भी रहे और उनके सियासी क्षेत्र के लिए भविष्य में कोई बाधा भी नहीं बने। बता दें कि जिले की वर्तमान राजनीति में सांसद संतोष कुशवाहा, बिहार सरकार की खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की मंत्री लेसी सिंह, पूर्व सांसद सह जाप सुप्रीमो राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव, पूर्व सांसद उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह, पूर्व मंत्री सह विधायक बीमा भारती, पूर्व मंत्री सह विधायक कृष्ण कुमार ऋषि, विधायक अख्तरुल इमान, विधायक रुकनुद्दीन, पूर्व मंत्री हाजी सुबहान व पूर्व विधायक सबा सफर जैसे लोगों की एक लंबी कतार है। इसके अलावा जिला परिषद अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव में पूर्व में भी अररिया के पूर्व सांसद सरफराज आलम भी सक्रिय रहते हैं। इन हस्तियों की अलग-अलग समूहों में अंदरुनी गोलबंदी से जिले में सियासी उठा पठक चलता रहा है। ऐसे प्रत्यक्ष रुप में सभी मौन हैं, लेकिन दावेदारों द्वारा इन दिग्गजों के दरबार में लगातार दस्तक दिया जा रहा है और वहां आंकड़े की गणित पर खूब चर्चा भी हो रही है। नित्य मिल रहे नए-नए आफर, कई सदस्य अपने आकाओं के साथ अध्यक्ष व उपाध्यक्ष चुनाव के लिए पर्दे के पीछे मोल-तोल की राजनीति भी चल रही है। कई सदस्यों को अभी से नेपाल सहित अन्य महानगरों की सैर कराया जा रहा है। नित्य नया आफर सदस्यों को मिल रहा है। दलीय व जातीय बिसात पर भी अपने समीकरण को साधने की कोशिश चल रही है। यद्यपि अधिकांश नए सदस्यों के चलते दावेदारों का समीकरण नित्य नया झटका खा रहा है। नव निर्वाचित कई सदस्य अपने सियासी आकाओं के प्रति वफादार हैं और उनके इशारे पर ही अपने वोट का इस्तेमाल करने को संकल्पित हैं।


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