अलविदा 2021: मौसम और बाढ़ ने किसानों को रुलाया

जागरण संवाददाता, खगड़िया। वर्ष 2021 में कोरोना के भयानक प्रकोप के बीच जिले के मेहनतकश किसान खेती किसानी में जुटे रहे। हालांकि इस साल अधिक बारिश और प्रलयंकारी बाढ़ ने व्यापक तबाही भी मचाई। जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा। खगड़िया जिला मक्का की खेती के लिए मशहूर है। खगड़िया जिले में 50 हजार हेक्टेयर में मक्के की खेती होती है। उपज की बात करें तो तीन लाख 50 हजार मीट्रिक टन मक्के की पैदावार होती है। जिले में सबसे अधिक बेलदौर में 12 हजार हेक्टेयर में मक्का की खेती होती है। परंतु, बाढ़ व बारिश ने किसानों को खूब रुलाया है। आंधी व याश चक्रवात के साथ अधिक बारिश ने फसलों को नुकसान पहुंचाया। वहीं रही- सही कसर प्रलयंकारी बाढ़ ने पूरी कर दी। जिस कारण खरीफ फसल लगभग बर्बाद हो गई। सिर्फ बेलदौर प्रखंड में 776 हेक्टेयर धान की फसल बर्बाद हुई। अभी तक बेलदौर प्रखंड में बाढ़ से हुई फसल क्षतिपूर्ति किसानों को नहीं मिली है। परबत्ता प्रखंड के भी सैकड़ों किसान इससे वंचित हैं।

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सरकारी स्तर पर किसानों को नहीं मिला है विशेष लाभ
इस साल व्यापक पैमाने पर फसलों का नुकसान हुआ। किसानों को फसल क्षति का मुआवजा अब तक नहीं मिला है। धान की खरीद की रफ्तार भी अच्छी नहीं है। किसान बाजार में धान बेचकर पूंजी जुटाने को लेकर मशक्कत कर रहे हैं। सरकारी घोषणा के अनुसार सिचाई को लेकर अब तक हर खेत तक बिजली नहीं पहुंच सकी है। सिचाई के लिए आज भी पंपसेट ही किसानों का सहारा है। बेलदौर प्रखंड में एक भी सरकारी नलकूप नहीं है। जिले में पान और मखाना की भी खेती होती है। परंतु इसकी खेती को सरकारी योजना का कोई लाभ नहीं मिल सका है।
नहीं लग सका मक्का व केला आधारित उद्योग
जिले में मक्का के बाद केले की खेती भी व्यापक पैमाने पर होती है। परंतु जिले में न तो अब तक मक्का आधारित उद्योग की स्थापना हो सकी है और न ही केला आधारित उद्योग की स्थापना हो सकी। केला थंभ के रेसे से थाली प्लेट बनाने का प्लांट इस साल नहीं लग सका और न ही मक्का को लेकर मेगा प्रिस्टाइन पार्क ही चालू हो सका।

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