शहर में गुमनाम हुए तालाबों को ढूंढ नहीं पाया नगर परिषद

संवाद सहयोगी, लखीसराय : सरकार जल संचयन और जल संकट की समस्या से निबटने के लिए जल-जीवन-हरियाली योजना के माध्यम से तालाबों का जीर्णोद्धार कार्य कर रही है। लखीसराय शहर प्राचीन काल से तालाबों का शहर कहा जाता है जहां कभी 52 तालाब हुआ करता था। शहरी विकास और बढ़ती आबादी के साथ तेजी से हुए शहरीकरण में शहर का दो दर्जन प्राचीन तालाब गायब हो गया। इसपर वर्तमान में बाजार और आबादी बसी हुई है। सरकार के निर्देश पर नगर परिषद ने शहर के 52 तालाबों की खोज के लिए दो वर्ष पूर्व सर्वे कराया था। इसमें मात्र 27 तालाब ही मिला। बाकी के बचे 25 तालाब कहां गुम हो गए इसे नगर परिषद आजतक ढूंढ नहीं पाया। बीते साढ़े चार वर्षों में नगर परिषद एक मात्र परिया पोखर का जीर्णोद्धार दो करोड़ 31 लाख की लागत से और लखीसराय रजिस्ट्री कचहरी के बगल में एक छोटे से पोखर का 14 लाख खर्च कर उड़ाही करा पाया है। खास बात है कि शहर के कुल 52 तालाबों का जीर्णोद्धार करने के लिए नगर परिषद बीते तीन वर्षों से अपने बजट में विशेष राशि खर्च करने का प्रावधान करता रहा है लेकिन अबतक धरातल पर नहीं उतरा है। ----


76 डिसमिल के तालाब पर बस गया मोहल्ला, बह रहा नाला का गंदा पानी
शहर के नया बाजार वार्ड नंबर 26 दाल पट्टी मोहल्ला स्थित गोपाल भंडार गली में प्राचीन तालाब का अस्तित्व वर्तमान समय में खत्म हो गया है। घनी आबादी के बीच 76 डिसमिल जमीन में फैला यह तालाब कहीं हुआ करता था जो स्थानीय लोगों के लिए जीवनदायिनी था। लेकिन सरकारी उपेक्षा के कारण तालाब की जमीन का अतिक्रमण कर चारों और लोगों ने घर बना लिया है। वर्तमान में यह तालाब नाला का रूप ले लिया है। यहां पूरे मुहल्ले के नाला का गंदा पानी गिरता है। नगर परिषद आजतक इस गुमनाम तालाब को नहीं खोज पाई है। इसी तरह शहर के अन्य हिस्सों में भी दो दर्जन तालाब एवं पोखर का नामोनिशान मिट गया है। नप ईओ आशुतोष आनंद चौधरी ने कहा कि जिन तालाबों का सर्वे कर चिह्नित किया गया है उसे जीर्णोद्धार करने का कार्य किया जा रहा है।

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