मेधा के अंक गणित में फंसकर शिक्षक बनने से वंचित रह गए कई मेधावी अभ्यर्थी

संवाद सहयोगी, हुलासगंज (जहानाबाद) :

राज्य में चल रहे छठे चरण के शिक्षक नियोजन में जिले में लगभग 600 अभ्यर्थियों को शिक्षक बनने का जहां अवसर मिला, वहीं सैकड़ों मेधावी अभ्यर्थी एसटीइटी और उच्च योग्यताधारी होने के बावजूद शिक्षक बनने से वंचित रह गए। राज्य में अब तक हुए शिक्षक नियोजन में अभ्यर्थी को शिक्षक पात्रता परीक्षा पास होने के साथ-साथ वांछित योग्यता में शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त करना आवश्यक है। लेकिन इन सब में मेधा अंक बनाने में मैट्रिकुलेशन से लेकर स्नातक तक के प्राप्त अंकों को जोड़ने से मेधा अंक बनाने और इसी के आधार पर अभ्यर्थियों का चयन शिक्षक के लिए किया जाता रहा है लेकिन इन सब में सबसे बड़ी खामी यह है कि राज्य में संचालित होने वाली परीक्षा कभी कदाचार से परिपूर्ण तो कभी सख्त माहौल में कदाचार रहित हुआ है। ऐसे में जिलावार भी देखा जाए तो परिणाम एक समान नहीं दिखता है। लिहाजा कई योग्य और मेधावी अभ्यर्थी मैट्रिक से स्नातक तक में कम प्राप्तांक प्राप्त करने के कारण शिक्षक बनने के सभी अहर्ता रहने के बावजूद शिक्षक बनने से वंचित रह जा रहे हैं। एसटीईटी पास और शिक्षक प्रशिक्षण प्राप्त कई ऐसे अभ्यर्थी हैं जो न सिर्फ उच्च योग्यता धारी हैं बल्कि प्राइवेट कॉलेज या उच्च शिक्षण संस्थानों से जुड़े हैं। इसके बावजूद उन्हें लगातार शिक्षक बनने का अवसर से इस कारण से वंचित होना पड़ा है।

सीटीईटी एवं एसटीइटी की कोचिग संचालित करने वाले सोनू कुमार ने बताया कि वर्ष 2016 में उसने बीएड की डिग्री प्राप्त की। एसटीइटी और सीटीईटी प्राथमिक और माध्यमिक दोनों स्तर पर पास होने के बावजूद शिक्षक बनने से वंचित रह गए। प्रत्येक वर्ष दर्जनों अभ्यर्थी इसी युवक के कोचिग संस्थान से एसटीइटी और सीटीईटी पास होकर नौकरी पा रहे हैं। ऐसे कई अभ्यर्थी हैं जिन्होंने बीएड और एसटीइटी पास करने के साथ-साथ मास्टर डिग्री एम एड और पीएचडी की उपाधि भी ले ली, लेकिन उन्हें शिक्षक बनने के लिए योग्य नहीं समझा गया, क्योंकि उनका मेधा अंक का गणित वर्तमान शिक्षक नियोजन के अनुसार सही नहीं बैठ रहा है। दूसरे राज्य के युवाओं को भी बिहार में शिक्षक की नौकरी आसानी से मिल जा रही है, परंतु बिहार के हजारों युवा डिग्री और पात्रता परीक्षा पास होने के बावजूद नौकरी से वंचित रह गए। ऐसे में अभ्यर्थियों का मानना है कि बिहार में पात्रता परीक्षा में सिर्फ एसटीइटी को ही मान्यता दी जानी चाहिए थी तथा मेघा के लिए शैक्षणिक योग्यता के अंकों का कोई मतलब नहीं होना चाहिए था। यही स्थिति रही तो उच्च योग्यताधारी अभ्यर्थी सड़कों पर होंगे और कागजी रूप से सफल अभ्यर्थी विद्यालय में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते शिक्षक की भूमिका में नजर आएंगे। इस संबंध में कई अभ्यर्थियों ने शिक्षा मंत्री से यह मांग रखी है कि आने वाले दिनों में सातवें चरण के नियोजन के लिए मेधा अंक की जगह एसटीईटी और शिक्षक प्रशिक्षण के प्राप्त अंकों को ही महत्व दिया जाए तथा आवश्यकता पड़ने पर उत्तर प्रदेश राज्य की तरह एसटीइटी के साथ-साथ सुपर एसटीइटी लिया जाए, जिससे कि मेघावी छात्रों को शिक्षक बनने से वंचित नहीं होना पड़े।
19 युवकों को मिला रोजगार
जागरण संवाददाता, जहानाबाद:
जिला प्रशासन के सहयोग से सिक्यूरिटी स्किल्स कासिंल आफ इंडिया एवं सिक्यूरिटी एंड इंटलिजेंस सर्विसेज इंडिया लि. द्वारा घोसी प्रखंड परिसर में जाब कैंप का आयोजन किया गया। कैंप में 105 लड़कों ने भाग लिया। जांचोंपरांत 19 लड़कों का चयन किया गया। बिहार-झारखंड के भर्ती मैनजर रितेश कुमार ने बताया कि 24 फरवरी को जहानाबाद डीआरसीसीसी परिसर में कैंप का आयोजन किया जाएगा। चयनित उम्मीदवारों को सेंट्रल ट्रेनिग एकेडमी गढ़वा में एक माह का प्रशिक्षण दिया जायेगा।

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