बजट से पूर्णिया के इथेनाल यूनिट के शीघ्र शुरू होने की बढ़ी उम्मीद

जागरण संवाददाता, पूर्णिया। बिहार विधानसभा में सोमवार को पेश बजट से उद्योगों के विकास को गति मिलने की उम्मीद है। वित्त मंत्री व उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने पेश बजट में जिन छह बिदुओ पर फोकस किया है उनमें उद्योग एवं औद्योगिक विकास भी शामिल है। वित्त मंत्री ने इथेनाल के 151 यूनिट राज्य में लगाए जाने की जानकारी दी तथा कहा कि यह राज्य के विकास के साथ रोजगार के क्षेत्र में भी बड़ा साधन होगा। पूर्णिया का इथेनाल प्लांट भी इसमें शामिल है। बजट में चर्चा से यहां के इथेनाल प्लांट के शीघ्र शुरू होने की उम्मीद है। जिले का होगा औद्योगिक विकास


औद्योगिक विकास की ओर अग्रसर पूर्णिया को इथनॉल उद्योग एक कदम और आगे ले जाएगा। केनगर प्रखंड अंतर्गत परोरा में करीब 15 एकड़ जमीन पर इसका निर्माण तेजी से हो रहा है। जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक संजय कुमार सिंहा ने बताया कि प्लांट लगाने का काम 80 फीसद तक पूरा कर लिया गया है। इसके शुरू होने से रोजगार सृजन के साथ यहां के मक्का एवं धान किसानों को काफी लाभ मिलेगा। प्रतिदिन 65 किलो लीटर होगा उत्पादन
जिले में इथेनाल उत्पादन इकाई लगाने का काम तेजी से चल रहा है। इंडियन बायोफ्यूल्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 96.76 करोड़ से इसका निर्माण किया जा रहा है। यह प्लांट औद्योगिक विकास की ओर अग्रसर पूर्णिया को एक कदम और आगे ले जाएगा। जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक संजय सिंहा ने बताया कि प्लांट की क्षमता 65 किलोलीटर प्रतिदन है। यानि एक दिन में यहां 65 हजार लीटर इथेनाल का उत्पादन होगा। दरअसल, इथनॉल एक तरह का अल्कोहल है जिसे पेट्रोल में मिलाकर वाहनों के ईंधन की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे प्रदूषण काफी कम होगा। वर्ष 2030 तक पेट्रोल में इसका 20 फीसद मिश्रण की योजना है। मक्का और ब्रोकन राइस से तैयार होगा इथनाल
देश में फिलहाल गन्ने से इथेनाल तैयार किया जाता है। लेकिन पूर्णिया में बन रहे प्लांट में इथेनाल मक्का और ब्रोकन राइस से तैयार किया जाएगा। दरअसल जिले में मक्का एवं धान की काफी पैदावार होती है। जिले में दोनों ही फसल सीजन में 90 से 95 हजार हेक्टेयर में लगाए जाते हैं। मक्का का बड़े पैमाने पर यहां उत्पादन होता है साथ ही धान की भी अच्छी फसल होती है। खासकर बाढ प्रभावित क्षेत्र होने के कारण यहां मोटे क्वालिटी के चावल अधिक होते हैं। अभी भी सरकारी गोदामों में यहां दो-तीन साल पुराने चावल पड़े हैं। ऐसे में यहां इथनॉल के लिए जिले में ही आसानी से कच्चा माल मिल जाएगा जिससे इसकी लागत कम होगी। किसानों को मिलेगा लाभ
विदित हो कि जले में मक्का और धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है लेकिन दोनों ही फसलों का किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। खासकर थोड़ी खराब क्वालिटी की फसल तो कौड़ी के दाम बेचने पड़ते हैं। लेकिन इथेनाल प्लांट खुल जाने से यहां खराब क्वालिटी के मक्का एवं धान की भी अच्छी कीमत मिल जाएगी। जिससे किसानों को लाभ मलेगा। साथ ही बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

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