कम शब्दों में गहराई भरी बात कहना उर्दू की खासियत: डीएम

संस, सहरसा। रविवार को उर्दू निदेशालय और जिला प्रशासन के सौजन्य से प्रेक्षागृह में फरोग-ए-उर्दू सेमिनार, मुशायरा एवं छात्र-छात्राओं के बीच भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन जिलाधिकारी आनंद शर्मा, डीडीसी साहिला, अपर समाहर्ता विनय कुमार मंडल समेत अन्य लोगों ने दीप प्रज्वलित कर किया।

मौके पर संबोधित करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि उर्दू बिहार की दूसरी सरकारी भाषा है। सरकार इस भाषा के उत्थान और प्रचार- प्रसार के लिए संकल्पित है। उन्होंने कहा कि उर्दू एक ऐसी भाषा है, जिसकी कम शब्दों में गहराई भरी बात कह जाना खासियत है। उन्होंने कई उर्दू शायरों की पंक्तियों को उ²त करते हुए इस भाषा का महत्व बताया। कहा कि इंकलाब-जिदाबाद का दो शब्द हमारे देश के आजादी के दीवानें को जोश और जुनून भर देता था। डीएम ने वासिर वादी की पंक्ति कभी मैं अपनी हाथों की लकीरों में न उलझा, मुझे मालूम है कि किस्मत लिखा और बदला जाता है। निदा फाजिल की पंक्ति कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, किसी को जमीन को किसी को आसमान नहीं मिलता को पढ़कर इसके महत्व से लोगों को रूबरू कराया। कहा कि दुनियां का सबसे बड़ा आदमी बिल गेटस को भी आखिर मानना पड़ा कि खुशी पैसे में नहीं गरीबों की सेवा से मिलती है।

गोष्ठी को उप विकास आयुक्त, अपर समाहर्ता विनय कुमार मंडल, सदर एसडीओ प्रदीप कुमार झा, उप निर्वाचन पदाधिकारी सौहेल अहमद, कार्यक्रम के नोडल पदाधिकारी अहमद अली अंसारी, डा. अबुल कलाम, मो. ताहीर, मो. मोहीउद्दीन राइन आदि ने संबोधित करते हुए उर्दू भाषा के विकास पर बल दिया। इस कार्यक्रम में उर्दू भाषी छात्र- छात्राओं के बीच प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। तत्पश्चात लुतफुर्रहमान, मो. कौसर, अकबाल दानिश, बदर कासिमी की नज्मों का लोगों ने खूब लुत्फ उठाया।

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