241 विद्यालयों में बच्चों को नहीं मिल रहा दोपहर का भोजन (जागरण विशेष)



जागरण संवाददाता, सुपौल : जिले के प्रारंभिक विद्यालयों में एमडीएम चालू हुए छह दिन हो गए लेकिन अभी तक 241 विद्यालयों में एमडीएम चालू नहीं हो पाया है। इससे सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना पर प्रश्नचिह्न खड़ा हो गया है। स्थिति यह है कि विभाग शत-प्रतिशत विद्यालयों में एमडीएम चालू करने को लेकर प्रयासरत है बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है। सोमवार को भी जिले के 241 विद्यालयों के बच्चे बिना एमडीएम खाए वापस घर जाने को मजबूर हुए। बताते चलें कि जिले के 1742 विद्यालयों में एमडीएम चालू हुआ है। इसमें कई विद्यालयों के प्रधान इस बात पर अडिग हैं कि सरकार ने एमडीएम योजना में जो बदलाव किए हैं इसके तहत योजना का संचालन करना गले में फंदे जैसा है। कुछ विद्यालय ऐसे हैं जहां गैस या जलावन उपलब्ध नहीं होने का कारण बताकर योजना को बंद किए हुए हैं। कुछ विद्यालयों में रसोईया का नहीं होने का बहाना बनाकर बच्चों को इस योजना से अलग रखा जा रहा है। कुछ ऐसे विद्यालय भी हैं जिनके खाते का अभी तक सत्यापन नहीं हो पाया है। खाता का सत्यापन नहीं होने के बारे में विभाग का कहना है कि यह समस्या तत्कालीन है। चूंकि पहले वाले खाते को बंद कर दिया गया है। कुछ नए खाते का अभी तक सत्यापन नहीं हो पाया है जिसको लेकर निर्देश दिया गया है। इन सबके बीच सबसे बड़ी समस्या कुछ प्रधानों के अड़ियल रवैये से हो रही है। ऐसे प्रधानों का कहना है कि योजना को जिस प्रकार कैशलेस बनाया गया है ऐसे में योजना को चला पाना संभव नहीं है।
हत्या मामले में पति-पत्नी को आजीवन कारावास यह भी पढ़ें
----------------------------------
2 साल बाद हुआ एमडीएम योजना का संचालन
कोरोना संक्रमण के कारण पिछले करीब दो वर्ष बाद 28 फरवरी से जिले में इस योजना की शुरुआत की गई। लोगों को उम्मीद जगी थी कि इसका लाभ फिर से बच्चों को मिलेगा। यही नहीं पीएम पोषण योजना के कार्यान्वयन होने से स्कूलों में पोषण वाटिका भी लहलहाने लगेगी। कुछ विद्यालयों के कैंपस में अपने हाथ से उत्पादित हरी साग, सब्जी का स्वाद बच्चे को चखने का मौका मिलेगा लेकिन वर्तमान स्थिति यह है कि एमडीएम मद में अभी राशि भी नहीं मिली है। चावल को छोड़ दें तो नमक, तेल से लेकर इंधन तक का जुगाड़ करने में जेब से खर्च करने पड़ रहे हैं।
---------------------------------------
वर्तमान दर पर एमडीएम संचालन करने पर जताई असमर्थता
अराजपत्रित शिक्षक संघ के जिला संयोजक जगदेव साह ने वर्तमान महंगाई को देखते हुए पुराने दर पर एमडीएम संचालन में असमर्थता जताई है। संघ का कहना है कि पूर्व में निर्धारित मात्रा के अनुसार वर्ग 1 से 5 के लिए 5 ग्राम व 6 से 8 तक के लिए 7.5 ग्राम रसोई तेल की मात्रा निर्धारित है। इसकी दर प्रति लीटर एक सौ से 110 बताई गई जबकि वर्तमान में सरसों तेल 200 से 210 से भी अधिक है। इसी तरह मसाला, सोयाबीन, सब्जी आदि के मूल्यों में भी बेतहाशा वृद्धि दर्ज की गई है। ऐसे में इन सामग्री को वर्तमान बाजार मूल्य पर जीएसटी बिल प्राप्त कर क्रय करना असंभव है। रसोई गैस सिलेंडर 19 किलोग्राम का मूल्य 2236 तक पहुंच गया है। ऐसे में डिजिटल सिस्टम से जीएसटी वाउचर पर पुरानी दर तालिका से विद्यालय में एमडीएम संचालन करना कठिन कार्य है।
--------------------------------
कोट
नए स्वरूप में आने से एमडीएम योजना को लागू करने में तत्काल कुछ परेशानी हो रही है। शिक्षक संघ से भी बात की गई है। अधिकांश विद्यालयों में अब एमडीएम संचालित किया जा रहा है। शुरुआती दौर है जो भी कमी है उसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा। महताब रहमानी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी पीएम पोषण योजना

अन्य समाचार