संतमंत में गुरु का स्थान सर्वोपरि है : आचार्य हरिनंदन बाबा



संवाद सूत्र, त्रिवेणीगंज (सुपौल): प्रखंड के कुसहा पंचायत के मचहा गांव स्थित महर्षि मेंही आश्रम में सोमवार को सतलोकवासी पूज्य मोती दास जी महाराज की पुण्यतिथि मनाई गई। इससे पहले रविवार को कुपाघाट के वर्तमान आचार्य पूज्यपाद महर्षि हरिनंदन परमहंस जी महाराज की जयंती मनाई गई थी। इसके उपरांत महर्षि मेंही आश्रम परिसर में सैकड़ो श्रद्धालुओं ने आचार्य से दीक्षा ली। इस मौके पर आयोजित दो दिवसीय संतमत सत्संग के अंतिम दिन आचार्य समेत आदि संतो के प्रवचन में मानव जीवन को उपकार के लिये लगाने और संतवाणी को गुरुवाणी मानकर उसके आदर्शों पर चलने की प्रेरणा दी गई। संध्या के समय प्रवचन में आचार्य हरिनंदन बाबा ने कहा कि गुरु के बताए हुए मार्ग पर चलने से जीव का कल्याण हो जाता है। संतमंत में गुरु का स्थान सर्वापरि है। गुरु महाराज कहते थे कि परमात्मा एक है। इसलिए लोगों को भजन व ध्यान में समय देना चाहिए। उन्होंने कहा कि गुरु का ज्ञान अमृतमय ज्ञान है। बिना गुरु के ज्ञान मिले कोई भी ईश्वर व परमात्मा के पास नहीं पहुंच पाते हैं। गुरु महाराज हमेशा कहते थे कि अच्छा कार्य और लोगों की मदद करते रहें। उन्होंने कहा कि संतमत अच्छा कर्म करने कि प्रेरणा देता है। अच्छे कर्म का फल अच्छा होता है। सबों के जीवन में दुख होता है। मानव के विभिन्न प्रयत्नों के बावजूद दुख आता है। तीन तरह के ताप यथा दैहिक, दैविक एवं भौतिक ताप है। भक्ति करने से दुखों से निकला जा सकता है। संत दयालु होते हैं। मानव शरीर बारंबार नहीं मिलता। कुछ पुण्य के कारण 84 लाख योनि के उपरांत मानव का तन मिलता है। उन्होंने कहा कि संत जीव कल्याण के लिए आते हैं। वहीं भगवान भी भक्तों के उद्धार के लिए अवतरित होते हैं। परमात्मा की भक्ति के बिना दुखों से मुक्ति नही मिल सकती। मानव बंधन में पड़े है। भक्ति से ही बंधन से मुक्त हो सकते है। दो दिवसीय सत्संग के अंतिम दिन सत्संगी महिला-पुरुषों की भारी संख्या के आगे संतमत सत्संग का पंडाल छोटा पर गया। कुपाघाट के वर्तमान आचार्य पूज्यपाद महर्षि हरिनंदन परमहंस जी महाराज के साथ में आये दर्जनों संतो ने सुमधुर भजनों व प्रवचन से प्रखंड क्षेत्र समेत दूर - दराज से आए हजारों श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। वही आचार्य के एक झलक पाने के लिए श्रद्धालु लालायित दिखे। संतमत सत्संग स्थल पर पहुंचे श्रद्धालुओं द्वारा धार्मिक पुस्तकें, संतसेवी महाराज की लिखी पुस्तकें आदि की खरीदारी की। दो दिवसीय संतमत सत्संग के सफल संचालन में आयोजन समिति समेत ग्रामीणों ने सक्रिय सहयोग किया।
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