आ गया आम में मंजर करें स्वास्थ्य प्रबंधन और देखभाल

संसू, नवहट्टा (सहरसा) : आम के वृक्षों में मंजर आना शुरू हो गया है। आम के बेहतर उत्पादन लेने के लिए अभी से इसका स्वास्थ्य प्रबंधन व देखभाल आवश्यक है। ध्यान नहीं देने पर रोग और कीट पूरी बगीचा को बर्बाद कर सकते हैं।

कृषि समन्वयक बीके मिश्रा के अनुसार, आम फलों का राजा है। इसकी देखभाल अच्छी तरह होनी चाहिए।
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मंजर लगने के बाद कीटनाशक का छिड़काव नहीं
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जिस समय पेड़ों पर मंजर लगा हो तथा खिल गया हो, उस समय किसी भी कीटनाशक दवा का छिड़काव नहीं करना चाहिए क्योंकि इसका परागण हवा या मधुमक्खियों के द्वारा होता है। अगर पुष्पा अवस्था में कीटनाशक का छिड़काव कर दिया तो मधुमक्खियां मर जाएंगी और मंजर पर छिड़काव से नमी होने के कारण परागण ठीक से नहीं हो पाएगा जिससे फल बहुत कम आएंगे।

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भुनगा कीट से अधिक होता है नुकसान
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आम के बागों को सबसे अधिक भुनगा कीट नुकसान पहुंचाते हैं। इसके शिशु एवं वयस्क कीट कोमल पत्तियों एवं पुष्पक्रमों का रस चूसकर हानि पहुंचाते हैं। इसकी मादा 100-200 तक अंडे नई पत्तियों एवं मुलायम प्ररोह में देती है और इनका जीवन चक्र 12 से 22 दिनों में पूरा हो जाता है। इसका प्रकोप जनवरी-फरवरी से शुरू हो जाता है।
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कीट से बचाव
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कृषि समन्वयक ने कीट से बचाने के लिए बिवेरिया बेसिआना फफूंद पांच ग्राम को एक लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें। उन्होंने बताया कि नीम तेल तीन मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर घोल का छिड़काव करके भी निजात पाया जा सकता है। बीमारी में सबसे ज्यादा क्षति सफेद चूर्ण पाउडरी मिल्ड्यू रोग से आम को होता है। बौर आने की अवस्था में यदि मौसम बदली वाला हो या बरसात हो रही हो तो यह बीमारी जल्दी लग जाती है। इस बीमारी के प्रभाव से रोगग्रस्त भाग सफेद दिखाई पड़ने लगता है। इसकी वजह से मंजरियां और फूल सूखकर गिर जाते हैं ।
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नपुंसक फूलों का बन जाता है एक ठोस गुच्छा
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गुच्छा रोग के लक्षण दिखाई देते ही आम के पेड़ों पर दो ग्राम गंधक को प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें। गुच्छा रोग में पूरा बौर नपुंसक फूलों का एक ठोस गुच्छा बन जाता है। बीमारी का नियंत्रण प्रभावित बौर और शाखाओं को तोड़कर या काट कर किया जा सकता है। इस रोग से प्रभावित टहनियों में कलियां आने की अवस्था में जनवरी-फरवरी के महीने में पेड़ के बौर तोड़ देना भी लाभदायक रहता है। इससे न केवल आम की उपज बढ़ जाती है बल्कि इस बीमारी के आगे फैलने की संभावना भी कम हो जाती है। यदि बागवान अभी से आम की बागों का ध्यान रखते है तो अच्छी फसल आम की प्राप्त कर सकते हैं।

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