बरबीघा में रेलवे भूमि अधिग्रहण विवाद सुलझने की उम्मीद

जागरण संवाददाता, शेखपुरा:

लगभग 18 वर्षों से लंबित पड़ी शेखपुरा-बरबीघा रेल लाइन परियोजना का बैरियर अब समाप्त हो सकता है। इसको लेकर जिला प्रशासन तथा रेलवे ने अपनी तरफ से पहल की है। अब इस विवाद को सुलझाने का गेंद रैयतों के पाले में है। जिला भू-अर्जन पदाधिकारी विमल कुमार सिंह ने बताया 12 मार्च को पटना हाईकोर्ट की लोक अदालत में इस विवाद को सुलझाने के लिए रेलवे प्रयास कर रहा है। यह रेल परियोजना जिले के बरबीघा अंचल के नारायणपुर मौजा की जमीन अधिग्रहण को लेकर पटना हाईकोर्ट में लंबित है। नारायणपुर मौजा में जमीन अधिग्रहण नहीं होने की वजह से यह काम अटका हुआ है। परियोजना के अवरुद्ध कार्य को गति देने के लिए दो दिनों पूर्व रेलवे के पदाधिकारियों का प्रतिनिधिमंडल डीएम से मिलकर अपनी तरफ से विशेष पहल का अनुरोध किया।

क्या है यह मामला-
2003 में शेखपुरा से बरबीघा-बिहारशरीफ-दानियांवा होते हुए बिहटा-नेउरा तक नई रेलवे लाइन बिछाने की परियोजना का शिलान्यास रेल मंत्री के रूप में नीतीश कुमार ने शेखपुरा में किया था। शेखपुरा से बरबीघा के बीच रेलवे लाइन बिछाने का काम बरबीघा के जमालपुर तक आकर रुका हुआ है। भू-अर्जन पदाधिकारी ने बताया बरबीघा के नारायणपुर मौजा में जमीन अधिग्रहण का काम रुका हुआ है। यहां के भूस्वामी 2007 के बजाय 2014 के दर से जमीन अधिग्रहण का मुआवजा मांग रहे। हाईकोर्ट के आदेश के बाद रेलवे ने नए दर से भुगतान की बात मान ली। मगर इसके बाद कुछ लोग कृषि भूमि के बजाय अधिगृहीत की जाने वाली भूमि को आवासीय बताकर इसी दर से भुगतान की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दिया। लोक अदालत में दोनों पक्ष इस मामले को आपसी सुलह से सुलझा सकते हैं। इस मामले को सुलझाने का एक और रास्ता है कृषि तथा आवासीय के बीच विकासशील श्रेणी मानकर नया मुआवजा तय हो सकता है।

अन्य समाचार