जिले के 302 विद्यालयों के बच्चों को नहीं मिल रहा मध्याह्न भोजन



जागरण संवाददाता, सुपौल: जिले के प्रारंभिक विद्यालयों में एमडीएम चालू हुए दस दिन हो गए हैं। लेकिन अभी तक 302 विद्यालयों में एमडीएम चालू नहीं हो पाया है। यह आरोप किसी छात्र या अभिभावकों का नहीं है,बल्कि विभाग ने सरकार को जो आनलाइन रिपोर्ट भेजी है उसके मुताबिक विभिन्न कारणों से जिले के 302 स्कूल के बच्चे को इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। जिससे सरकार के इस महत्वपूर्ण योजना पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है। स्थिति यह है कि विभाग शत-प्रतिशत विद्यालयों में एमडीएम चालू करने को लेकर प्रयासरत है बावजूद इस स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है। जिले के 1743 विद्यालयों में एमडीएम की शुरुआत की गई है। इसमें से सिर्फ 1441 विद्यालय में ही एमडीएम चालू हो पाया है। शेष बचे 302 विद्यालयों में अब तक यह योजना चालू नहीं हुई है। उनमें से 29 ऐसे विद्यालय हैं जिन्हें खाद्यान्न ही उपलब्ध नहीं कराया गया है। 20 विद्यालय में रसोईया के कारण एमडीएम बंद पड़ा है। 22 विद्यालय ऐसे हैं जहां गैस और जलावन का अभाव बना हुआ है, जबकि 231 विद्यालय में किसी अन्य कारण से यह योजना संचालित नहीं हो पा रहा है। कई विद्यालयों के प्रधान इस बात पर अडिग है कि सरकार ने एमडीएम योजना में जो बदलाव किए हैं इसके तहत योजना का संचालन करना गले में फंदा जैसा है। कुछ ऐसे विद्यालय भी हैं जिनके खाते का अभी तक सत्यापन नहीं हो पाया है। खाता का सत्यापन नहीं होने के बारे में विभाग का कहना है कि यह समस्या तत्कालीन है। चूंकि पहले वाले खाते को बंद कर दिया गया है। कुछ नए खाते का अभी तक सत्यापन नहीं हो पाया है। जिसको लेकर निर्देश दे रखा है। कुछ प्रधानों का कहना है कि योजना को जिस प्रकार कैसलेस बनाया गया है ऐसे में योजना को चला पाना संभव नहीं है।

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2 साल बाद हुआ एमडीएम योजना का संचालन
कोरोना संक्रमण के कारण पिछले करीब 2 वर्ष बाद 28 फरवरी से जिले में इस योजना की शुरुआत की गई। लोगों को उम्मीद जगी थी कि इसका लाभ फिर से बच्चे को मिलेगा। यही नहीं पीएम पोषण योजना के कार्यान्वयन होने से स्कूलों में पोषण वाटिका भी लहलहाने लगेगी। कुछ विद्यालयों के कैंपस में अपने हाथ से उत्पादित हरी साग-सब्जी का स्वाद बच्चे को चखने का मौका मिलेगा।
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वर्तमान दर पर एमडीएम संचालन करने पर जताई असमर्थता
अराजपत्रित शिक्षक संघ के जिला संयोजक जगदेव साह ने वर्तमान महंगाई को देखते हुए पुराने दर पर एमडीएम संचालन के खिलाफ असमर्थ ता जताई है। संघ का कहना है कि पूर्व में निर्धारित मात्रा दर के अनुसार वर्ग 1 से 5 के लिए 5 ग्राम व 6 से 8 तक के लिए 7.5 ग्राम रसोई तेल की मात्रा निर्धारित है। वहीं इसकी दर प्रति लीटर एक सौ से 110 बताई गई। जबकि वर्तमान में सरसों तेल 200 से 210 से भी अधिक है। इसी तरह मसाला, सोयाबीन, सब्जी आदि के मूल्यों में भी बेतहाशा वृद्धि दर्ज की गई है। ऐसे में इन सामग्री को वर्तमान बाजार मूल्य पर जीएसटी बिल प्राप्त क्रय करना असंभव है। रही सही कसर इंधन रसोई गैस सिलेंडर 19 किलो ग्राम का मूल्य 2236 तक पहुंच गई है। ऐसे में डिजिटल सिस्टम से जीएसटी भाउचर पर पुरानी दर तालिका से विद्यालय में एमडीएम संचालन करना कठिन कार्य है।
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निदेशक ने जारी किए निर्देश
पीएम कौशल योजना के निदेशक सतीश चंद्र झा ने सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को निर्देश जारी कर शतप्रतिशत विद्यालयों में एमडीएम चालू करने को कहा है। जारी आदेश में इन्होंने कहा है कि यदि किसी विद्यालय के प्रधान कोई बहाना बनाकर एमडीएम योजना को चालू नहीं करते हैं तो उनके विरुद्ध सीधे कार्रवाई करना सुनिश्चित करें।

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