जंगली-पहाड़ी क्षेत्र में इस बार पेयजल संकट के आसार नहीं

संवाद सहयोगी, लखीसराय : गिरते भू-जलस्तर को लेकर गत वर्ष पीएचईडी ने जंगली-पहाड़ी क्षेत्र की जिले की दो पंचायतों सूर्यगढ़ा प्रखंड अंतर्गत बुधौली बनकर एवं उरैन को अति संवेदनशील (क्रिटिकल) एवं चानन प्रखंड अंतर्गत संग्रामपुर पंचायत को संवेदनशील (सेमी क्रिटिकल) की श्रेणी में रखा था। 50 फीट से नीचे भू-जलस्तर वाली पंचायत को अति संवेदनशील, 40 एवं 50 फीट के बीच के भू-जलस्तर वाले क्षेत्र को संवेदनशील श्रेणी में रखा गया था। 30 से 40 फीट भू-जलस्तर वाली 60 पंचायत को सी श्रेणी में जबकि 29 से 30 फीट भू-जलस्तर वाली 17 पंचायत को सामान्य श्रेणी में रखा गया था। गर्मी की आहट से ही अति संवेदनशील एवं संवेदनशील पंचायत के करीब एक दर्जन से अधिक गांवों के कुआं एवं चापाकल पानी देना बंद कर देता था। पीएचईडी टैंकर से पानी भेजकर लोगों की जरूरतों को पूरा करता रहा है। गत वर्ष जिले पर इंद्रदेव काफी मेहरबान रहे। प्रचुर मात्रा में वर्षा होने के कारण जिले में भू-जलस्तर काफी ऊपर आ गया है। जिले के अति संवेदनशील एवं संवेदनशील सभी पंचायत सामान्य श्रेणी में आ गई है। विभाग का दावा है कि इस बार जंगली-पहाड़ी गांवों में पेयजल संकट का सामना लोगों को नहीं करना होगा। वर्तमान में बुधौली बनकर पंचायत में भू-जलस्तर 19 फीट एवं 20 फीट के बीच तथा उरैन पंचायत में भू-जलस्तर 16 फीट एवं 17 फीट के बीच है। इस बार चानन प्रखंड की विभिन्न पंचायतों का भू-जलस्तर बुधैली बनकर एवं उरैन पंचायत से नीचे है। चानन प्रखंड अंतर्गत इटौन, गोहरी एवं मलिया पंचायत का भू-जलस्तर 22 एवं 23 फीट के बीच, जानकीडीह, खुटुकपार, लाखोचक, संग्रामपुर एवं भलुई का भू-जलस्तर 21 व 22 फीट के बीच तथा कुंदर एवं महेशलेटा पंचायत का भू-जलस्तर 20 से 21 फीट के बीच है।

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कोट
जिले की सभी पंचायत भू-जलस्तर को लेकर सामान्य श्रेणी में है। इस बार कहीं भी पेयजल संकट उत्पन्न नहीं होने की उम्मीद है। इस बार जंगली-पहाड़ी क्षेत्र के बुधौली बनकर एवं उरैन पंचायत सहित सभी जगहों के कुआं एवं चापाकल में पानी उपलब्ध रह सकता है। खराब चापाकल की मरम्मत कराई जा रही है।
ई. सुरेंद्र प्रसाद सिंह, कार्यपालक अभियंता, पीएचईडी, लखीसराय।

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