मुख्य प्रशासिका दादी हृदयमोहिनी की मनाई गई पुण्यतिथि

संवाद सूत्र, त्रिवेणीगंज (सुपौल): स्थानीय प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के प्रांगण में रविवार को पूर्व मुख्य प्रशासिका दादी हृदयमोहिनी की प्रथम पुण्यतिथि के अवसर पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर संस्था से जुड़े व ऑस्ट्रेलिया से पधारे बीके प्रो. बवल्स चैटी ने कहा कि दादी हृदयमोहिनी प्रजापिता ब्रह्मा बाबा के अव्यक होने पर परमात्मा शिव बाबा के ज्ञान उच्चारण हेतु साकार माध्यम बनी। कहा 1969 से 2021 तक 52 वर्षो तक उन्होंने लाखों मनुष्यात्माओं को परमात्मा शिव बाबा के नजर से निहाल करवाया और ईश्वरीय महात्म्य से सर्व खजानों से संपन्न बनवाया। वहीं सेवा केंद्र सुपौल संचालिका बी के शालिनी बहन ने कहा हम सभी दादी हृदयमोहिनी के ऋणी हैं। उन्होंने अपना सर्वस्व मानव कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। कहा कि दादी जी हमेशा कहती थी न दुख दो, न दुख लो, हमेशा सुख दो और सुख लो। मौके पर बी के डा. फणीश चंद्र ने कहा कि दादी जी 9 वर्ष की उम्र में अपनी मां के साथ आश्रम में आई। दादी जी कहती थी साकार ब्रह्म बाबा ने इतना पालना दिया, प्यार दिया जो कभी लौकिक मां-पिता की याद बच्चों को नहीं आई। बाबा हमेशा कहते थे ये बच्चे, मेरे चैतन्य ठाकुर हैं। कोई भी नया सीजन का फल होता तो बाबा कहते थे पहले मेरे ठाकुर खाएंगे फिर बाबा स्वीकार करेंगे। वहीं पूर्व मजिस्ट्रेट महाराजगंज बीके रश्मि ने कहा जो सहन करता है वहीं सहनशाह बनता है। इसलिए जीवन में सुकुन होने के लिए त्याग, तपस्या और सेवा का होना आवश्यक है। कार्यक्रम का संचालन बिके रामकुमार व धन्यवाद ज्ञापन भुवनेश्वरी साह ने किया। मौके पर डा. विश्वनाथ सरार्फ, सज्जन संत, सुरेंद्र भारती, उमा प्रसाद गुप्ता, नंद किशोर चौखानी, कैलाश अग्रवाल, अनिता पटवारी, सुधा दीदी, पिकी केजरीवाल आदि ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया।


अन्य समाचार