कड़े कानून के बावजूद सुरक्षित नहीं है आधी आबादी, बढ़ रहे छेड़खानी के मामले

बेतिया। जिले में आधी आबादी सुरक्षित नहीं है। लड़की और युवतियां छेड़खानी का शिकार हो रही है। इतने कड़े कानुन होने के बावजूद घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रहे। विगत 25 फरवरी को मुफस्सिल थाना क्षेत्र के एक गांव में कुछ लोगों ने घर में घुस सोई महिला से दुष्कर्म का असफल प्रयास किया। बेटे के सामने हुई इस वारदात को सुन लोग सन्न रह गए थे। उसके पहले 5 फरवरी को मैनाटांड़ के एक गांव से डायन का आरोप लगाकर घर से निकाली गई महिला से उसके देवर ने शादी का झांसा देकर दुष्कर्म किया। इसी वर्ष 27 जनवरी को साठी थाना क्षेत्र के गांव से लड़की का अपहरण कर दुष्कर्म करने का मामला प्रकाश में आया था। यह महज कुछ उदाहरण है। आए दिन लड़कियां और युवतियां छेड़खानी का शिकार होती है। कई बार लोक लज्जा के भय से लोग शिकायत लेकर पुलिस के पास नहीं जाते। गांव में ही मामला रफा-दफा कर लिया जाता है। हालांकि दुष्कर्म के मामले में पुलिस कड़ी कार्रवाई करती है। अभी भी कई दुष्कर्मी सलाखों के पीछे हैं। बावजूद इस तरह की घटनाओं पर विराम नहीं लग रहा है।


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वर्ष 2012 में हुई थी दुष्कर्म की 36 घटनाएं
पुलिस आंकड़े पर गौर करें तो वर्ष 2012 में दुष्कर्म की 36 घटनाएं हुई थी। हालांकि बाद में इसमें कमी आती गई। 4 वर्ष पहले 2018 में दुष्कर्म की 28 घटनाएं हुई। 2021 में 18 महिलाएं दुष्कर्म की शिकार हुई। मनोविज्ञान के सेवानिवृत्त अध्यापक डा. केपी यादव का कहना है कि मानसिक मनोरोगी इस तरह की घटनाओं को अंजाम देते हैं। समाज में जागरूकता लाकर ऐसे अपराध में कमी लाई जा सकती है।
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वर्षवार दुष्कर्म की घटनाएं एक नजर में
वर्ष घटनाएं
2007 --- 23
2008 ---28
2009 ---22
2010 --- 18
2011 ---21
2012 ---36
2013 ---46
2014 ---32
2015 ---20
2016 ---17
2017 ---17
2018 ---28
2019 ---19
2020 ---19
2021 ---18
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कोट--
दुष्कर्म जघन्य अपराध है। ऐसे अपराध के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होती है। दुष्कर्म के मामले में कई लोगों को जेल भेजा गया है। इस तरह के अपराध पर रोक के लिए सामाजिक जागरूकता काफी जरूरी है। अभिभावकों को अपने बच्चों की क्रियाकलापों पर नजर रखनी चाहिए, उन्हें अच्छे संस्कार और शिक्षा देनी चाहिए। ताकि वे इस तरह के अपराध से दूर रहे।
उपेंद्र नाथ वर्मा, एसपी, बेतिया।

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