बनमनखी में आज से 28 मार्च तक आयोजित होगा राजकीय दीनाभद्री महोत्सव

संस, बनमनखी (पूर्णिया)। अनुमंडल मुख्यालय स्थित सुमरित उच्च विद्यालय के खेल मैदान में आज कला सांस्कृतिक एवं युवा विभाग बिहार सरकार के सौजन्य से 26, 27 एवं 28 मार्च को राजकीय बाबा दीनाभद्री महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम के सफलता को लेकर एसडीओ के कक्ष में एक प्रशासनिक बैठक हुई।

कार्यक्रम का उद्घाटन शनिवार को दिन के एक बजे पूर्णियां के प्रमंडलीय आयुक्त राहुल रंजन महिवाल तथा अन्य के द्वारा किया जाएगा। जिसकी तैयारी पूर्ण कर ली गयी है। कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु जिला प्रशासन निर्देश पर अनुमंडल प्रशासन ने चुस्त दुरूस्त व्यवस्था किया है। इस कार्यक्रम को लेकर बनमनखी एसडीओ नवनील कुमार एवं एसडीपीओ कृपाशंकर आजाद ने संयुक्त आदेश जारी कर उक्त स्थल पर भारी संख्या में दंडाधिकारी एवं पुलिस पदाधिकारी को विभिन्न स्थल पर प्रतिनियुक्त किये गये हैं। कार्यक्रम के उद्घाटन से पूर्व संपूर्ण नगर में प्रभातफेरी निकाली जाएगी। इसके बाद खेल-कुद प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। ततपश्चात प्रतिभागियों और पत्रकारों को सम्मानित किया जाएगा। कार्यक्रम उद्घाटन के बाद तीन दिनों तक लगातार विभिन्न मंडलियों के द्वारा किर्तन-भजन किया जाएगा।

सरकारी घोषणा के बाद दूसरी बार होगा बाबा दीना भद्री मोहोत्सव :
पूर्णिया जिला के बनमनखी अनुमंडल मुख्यालय स्थित सुमरित उच्च विद्यालय के खेल मैदान में सरकार के घोषणा के बाद दूसरी बार सरकारी खर्च पर राजकीय बाबा दीना भद्री महोत्सव का आयोजन हो रहा है। जिससे इस क्षेत्र के लोगों में एक बार फिर से खुशी का माहौल है। गौरतलब है कि 2020 में स्थानीय विधायक सह तत्कालीन पर्यटन मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि के खास पहल पर पहली बार सुमरित उच्च विद्यालय के मैदान में भव्य बाबा दीना भद्री कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। उसके बाद दो वर्ष वैश्विक महामारी के वजह से महोत्सव नहीं हो सका था। वर्ष 2020 में दीना भद्री कार्यक्रम को लेकर जिला प्रशासन ने खास दिलचस्पी लेते हुए सुरक्षा व्यवस्था की पुख्ता इंतजाम कराया था। क्या है बाबा दीना भद्री का महत्व : तीन दिनों तक चलने वाले इस राजकीय महोत्सव को देखते हुए सुमरित मैदान पर दीनाभद्री समेत अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमा बनाई गई है। साथ ही कार्यक्रमों के आयोजन के लिए विशाल मंडप, मंच का निर्मान किया गया है। ऐसी मान्यता है कि कालांतर से ही मुसहर समुदाय के पूर्वजों द्वारा वैदिक रीति-रिवाज, विधि विधान एवं धार्मिक अनुष्ठान के साथ मनाने का यह प्रथा चलता आ रहा है। इनकी गाथा जोरावर सिंह नामक आतातायी शासक और सामान्य सामंती शोषण के खिलाफ थी। दीना और भद्री दोनों भाई कटैया वन में शिकार खेलने गए और वहां फोटारा गीदड के धूर्तता से लुल्ही बाघिन के शिकार बन गए। दीना-भद्री की गाथा में दोनों भाई मनुसदेवा (पूजित मृतात्मा) बन कर आते हैं और फिर संघर्ष करते हैं। मुसहर आज भी अपने इन नायकों के वापस आने की प्रतीक्षा करते हैं। मुसहर अक्सर ऊंची जमीन पर दीना-भद्री का स्थान बनाते हैं।
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रामायण से जुड़ी है मान्यता
एक और मान्यता है कि दीनाराम भद्री मुसहर समुदाय के पूर्वज माने जाते हैं। समुदाय के बुद्धिजीवी बताते हैं कि त्रेता युग में भगवान राम के दर्शन के लिए माता शबरी ने अपनी पूरी जिदगी गुजार दी जो की वाल्मीकि रामायण में भी उल्लेखनीय है। माता शबरी भील जनजाति से आती थी, जब किसी समय भील जनजाति जंगलों, कंदराओं और गुफाओं से सामाजिक परिवेश में आया तो ये लोग मुसहर जाति से जाने लगे। मुसहर जाति के माता शबरी से मुसहर समुदाय के अतीत का पता चलता है। बाबा दीना भद्री के बारे मे ऐसी कई और मान्यता है जो इस समुदाय के लोग बताते हैं।

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