जानकीनगर में संत महात्माओं का हुआ भव्य स्वागत, अधिवेशन का आज अंतिम दिन

संस, जानकीनगर (पूर्णिया)। पूर्णिया जिला संतमत सत्संग के 63वें वार्षिक अधिवेशन में पधारे परमपूज्य आचार्य योगानंद स्वामी जी महाराज व अन्य संत महात्माओं का क्षेत्र के श्रद्धालुओं ने भव्य स्वागत किया। दोपहिया एवं चारपहिया वाहनों के काफिले के साथ संत-महात्मा जानकीनगर के खूंट गांव पहुंचे। शनिवार की सुबह ठाकुर उच्च विद्यालय खूंट के क्रीड़ा मैदान में भक्तिमय माहौल में अधिवेशन शुरू हुआ।

मंचासीन संत-महात्माओं का जोरदार स्वागत किया गया। इस दौरान गुरू महाराज के जयकारे से आसपास का वातावरण गुंजायमान हो गया। अधिवेशन के पहले दिन परमपूज्य आचार्य योगानंद स्वामीजी महाराज ने पंडाल में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि बिना गुरु के ज्ञान नहीं हो सकता। ज्ञान से ही मुक्ति और मोक्ष मिलता है। सच्चे सदगुरु अपने शिष्यों को अंधकार से प्रकाश में और असत्य से सत्य की ओर ले जाते हैं। उन्होंने कहा कि लौकिक विद्या के साथ परलौकिक विद्या का होना आवश्यक है। संयमी एवं ज्ञानी व्यक्ति अपने जीवन में संतोष करता है,जबकि मूढग्रस्त ,मोहग्रस्त इंसान असंतोष को ही प्राप्त करते हैं।

उन्होंने कहा कि सद्भवना की सरिता जब लहरा कर चलती है, तब सबकुछ सरस बन जाता है। हम लोगों को अधिक लालसा की कामना नहीं करनी चाहिए। ईमानदारी से कमाया गया धन ही शुद्ध होता है। मौके पर मौजूद मंचासीन अन्य संत-महात्माओं के द्वारा बहाई गई अमृतमयी गंगा में श्रद्धालुगण डुबकियां लगाकर सराबोर होते रहे। इस दौरान अलग-अलग क्षेत्रों के श्रद्धालुओं का जमघट लगा रहा। अधिवेशन के पहले दिन सायंकालीन सत्र में भी आध्यात्मिक कीर्तन भजन, ग्रंथपाठ तथा महात्माओं का प्रवचन हुआ। बाहर से आए श्रद्धालुओं के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। आयोजन की सफलता में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, समस्त क्षेत्रीय सत्संगी गणों के अलावे स्थानीय ग्रामीणों एवं युवाओं का सराहनीय सहयोग देखा जा रहा है।

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