शिव और शक्ति का संबंध एक कागज के पन्ने की तरह

संवाद सहयोगी, जमालपुर (मुंगेर) : धर्म महासम्मेलन के दूसरे दिन शनिवार को आनंद मार्ग प्रचारक संघ के बौद्धिक मंच रेनासा यूनिवर्सल के भारतीय चितन की परंपरा को लेकर आध्यात्मिक और सामाजिक दर्शन पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन हुआ। प्रो. महानंद झा, एचओडी, न्याय विभाग, लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (दिल्ली) ने वेबिनार में आनंद सूत्रम को भारतीय परंपरा से तुलना की। अध्यक्षता लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय न्याय विभाग (दिल्ली) के प्रो. पीयूषकांत दीक्षित ने की।


उन्होंने सभी वक्ताओं के भाषण को संक्षेप में प्रस्तुत किया। डा. अनिल प्रताप गिरि महात्मा गांधी, सेंट्रल यूनिवर्सिटी, मोतिहारी के संस्कृत विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर ने आनंदमूर्तिजी के अनुसार ब्रह्मा की मूल अवधारणा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ब्रह्म शिव और शक्ति का मिलित नाम है। शिव और शक्ति का संबंध एक कागज के पन्ने जैसा है। डा. सुदीप चक्रवर्ती, संस्कृत विभाग, सिधो-कान्हो-बिरसा विश्वविद्यालय ने प्रभात संगित पर बात की। उन्होंने आगे कहा कि इसे श्री श्री आनंदमूर्ति जी ने लिपि और सुरबद्ध किया है। डा. सुदीप्त चक्रवर्ती ने बताया कि प्रभात संगीत आठ वर्षों के भीतर आठ अलग-अलग भाषाओं में 5018 गीतों का संग्रह है। सहायक प्रोफेसर चेतन वर्मा आनंदमूर्तिजी के सामाजिक आर्थिक सिद्धांत में योगदान पर एक व्याख्यान दिया। राष्ट्रीय वेबिनार सम्मेलन की जानकारी केंद्रीय जन संपर्क सचिव आचार्य दिव्यचेतनानंद अवधूत ने दिए। रावा के कलाकारों ने किया धमाल
रावा आर्टिस्ट रायटर्स एसोसिएशन की ओर से प्रभात संगीत पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम जमालपुर के कलाकारों आनंद मार्ग धर्म महासम्मेलन में सांस्कृतिक संध्या प्रस्तुत किया। मानव अस्तित्व की सर्वांगीण (जागतिक मानसिक व आध्यात्मिक) विकास के लिए बाबा अनंदमूर्ति जी ने रेनसान्स यूनिवर्सल की स्थापना अंग भूमि के त्रिमोहन में की। रेनसान्स यूनिवर्सल का उद्देश्य एक नव्य मानव समाज बनाना है, जो विश्व मानवतावाद सामन्तवाद, स्वतंत्रता न्याय सामाजिक समानता ओर सभी की आर्थिक सम्मृद्धि पर आधारित हो। 50 वर्षों से जुड़े हैं पूर्व रेल आइजी रेल से सेवानिवृत्त हुए आरपीएफ आइजी हरानंद आनंद मार्ग से प्रेरित होकर पिछले 50 वर्षों से पूरे परिवार के साथ जुड़े हैं। ईसीआर हाजीपुर से सेवानिवृत्त हुए रेल आइजी कहते हैं कि आनंद मार्ग में आध्यात्मिक के साथ मानसिक विकास होता है और यहां गजब की शांति मिलती है। बाबा ने जो उपदेश जगत कल्याण व मानव मानव एक होने का दिया है उस से प्रेरित होकर घरेलू मार्गी बना हूं। वालिटियर्स के बलबूते पर सफल करते हैं धर्म महासम्मेलन आनंद मार्ग का महा धर्मसम्मेलन सफलता के साथ संपन्न कराने के पीछे सेवादल के वालिटियर्स का अहम रोल होता है। हर साल आनंद मार्ग अपने लगभग आठ हजार वालिटियर्स के बलबूते पर चार महाधर्म सम्मेलन संपन्न कराते हैं। आनंद मार्ग के वालिटियर्स को तैयार करने में लगभग तीन माह का समय लगता है। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वालिटियर्स को हर तरीके का प्रशिक्षण दिया जाता है। बाबा नगरी जमालपुर, आनंद नगर पश्चिम बंगाल, रांची व पूर्णिया में हर वर्ष धर्म महासम्मेलन का आयोजन किया जाता है। पुस्तकों की है डिमांड आनंद मार्गी के संस्थापक बाबा आनंदमूर्ति जी ने मानव मानव के दुखों को समझकर मानव मानव एक है के उपदेशों पर आधारित लगभग 172 पुस्तकों की रचना हिदी, इंग्लिश, बांग्ला व उर्दू में किया था। देश-दुनिया में लगभग एक करोड़ बाबा के अनुयायह पुस्तक को खरीद कर बाबा के बताए गए मार्ग पर चलने का कार्य कर रहे हैं।

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