पलासी-सगुना में जलसा में उमड़े लोग

संवाद सूत्र, ताराबाड़ी(अररिया): अररिया प्रखंड के किस्मत खवासपुर पंचायत के वार्ड 10 अंतर्गत मदरसा इमदादूल उलूम पलासी-सगुना में शनिवार रात एक दिवसीय अजीमुससान इजलासे आम व उनमान इसलाहे मोआसरा एवं दस्तारबंदी का आयोजन किया गया। तकरीर में उलेमा ने मुल्क की बेहतरी के लिए लोगों से तालीम हासिल करने की हिदायत दी। जलसा की अध्यक्षता करते हुए मौलाना निजामुद्दीन नाजिम मदरसा फैजे हिदायत मुमता•ा चौक बटुरबाडी ने कहा की नबी की शान से बढ़कर किसी की शान थोड़ी है, मियां नाते नबी कहना कोई आसान थोड़ी है, नबी के नाम लेवा है नबी पर जान दे देंगे, नबी के जान से बढ़कर हमारी जान थोड़ी है पर खूब वाहवाही बटोरी। जलसे की आगाज असर नमाज के बाद मदरसा के बच्चों के तिलावत -ए-कुरान से की गई। फजर नमा•ा से पहले मुल्क में अमन- चैन के लिए दुआ के साथ जलसा का समापन चतुर्वेदी मुसव्विर आलम नदवी सचिव आल इंडिया पयामे इंसानियत फोरब अररिया ने किया। मंच संचालन मौलाना दाऊद नोमानी ने बखूबी अंजाम दिया। मौके पर चतुर्वेदी मौलाना मुसव्विर आलम नदवी अररिया ने संस्कृत भाषा में लोगों से कहा कि सांप्रदायिक सौहार्द आपसी भाईचारा इस देश की सबसे बड़ी पहचान रही है। बताया कि हिदू, मुस्लिम, शिख, ईसाई आदि जितने भी धर्मावलंबी इस देश में रहते हैं सभी आपस में भाई है। सभी एक ही पिता स्वयंभू मनु हजरत आदम अलैहिस्सलाम के संतान है। पिता स्वयंभू मनु हजरत आदम अलैहिस्सलाम के संतान होने के कारण ही हमें आदमी कहा जाता है। हमारे अंदर आदमीयत, इंसानियत और मानवता उत्पन्न करने के लिए सभी ऋषि मुनि और पैगंबर इस दुनिया में तशरीफ लाए। चतुर्वेदी ने आगे कहा कि हिदू बुरा है ना मुसलमान बुरा है, आ जाए जिसमें बुराई वह इंसान बुरा है। सफल आयोजन में मदरसा के नाजिम हाफिज निशार, मौलाना मुस्ताक अहमद नदवी, हाफिज अली मुर्तजा, तस्लीमुद्दीन मंसूरी, पूर्व मुखिया मुमता•ा अंसारी, पंसस आजाद अंसारी, अंसारी, उपमुखिया प्रतिनिधि मंजर राही उर्फ रौकी, डा शहनवाज अंसारी, शाहीद आलम, नूरूददीन, कौकब मुस्ताक आदि का सराहनीय योगदान रहा। तालिम के मुद्दों का भी जिक्र---- दीनी और दुनियाबी तालीम के लिए मदरसा को बढ़ावा देने, उर्दू भाषा को तवज्जो देने, स्वच्छता का मुकम्मल ख्याल रखने, बाल विवाह व दहेज प्रथा जैसी बुराइयों को जड़ से भगाने के अलावे गरीबी अमीरी को मिटाने के लिए इल्म पर जोर देने की बात कही गई।


कार्यक्रम में मुख्य रूप से वक्ताओं में----
चतुर्वेदी मौलाना मुसव्विर आलम नदवी, मुफ्ती हिमायू अकबाल नदवी पूर्णिया, मौलाना जाहिदुर रहमान, मौलाना शमशाद फरीदी, मौलाना राशिद अंसारी, शायरे इस्लाम हाफिज व कारी कमरुज्जमा कमर नोमानी, हाफिज अमानुल्लाह कमर सानी, कारी तारिख अनवर, हाफिज महफुजुर रहमान ने भी सम्बोधित किया। एक हाफिज -ए- एकराम का हुआ दस्तारबंदी----
गुलामे हजरते शब्बीर है हल्के में मत लेना, ए बातिल के लिए शमशीर है हल्के में मत लेना, इसी ने 313 में बातिल को हिलाया था, यह नारा, नारा ए तकबीर है हल्के में मत लेना। ये बातें जलसा में आए शायरे इंकलाब कारी कमरुज्जमा कमर नोमानी ने कही। मदरसा जामिया इमदादुल उलूम पलासी सगुना में दस्तारबंदी के मौके पर एक छात्र तालिबे इल्म को कुरान शरीफ का हाफिज बनाकर मदरसा के हुफ्फाज -ए-कराम अब्दुल माजिद पिता मु ताहीर मंसूरी पलासी परताहा टोला किस्मत खवासपुर को मुख्य अतिथि मौलाना चतुर्वेदी मुसव्विर आलम नदवी, मुफ्ती हिमायू अकबाल नदवी, मौलाना निजामुद्दीन, कारी कमरुज्जमा कमर नोमानी ने संयुक्त रूप से इमामा (पगड़ी) पहनाकर खैर मकदम किया। हाफिज -ए-एकराम को मदरसा के नाजिम हाफिज निशार हसन ने अंग वस्त्र, कुरआन शरीफ, रेहल, टोपी, दीनी पुस्तक के अलावा नगद पांच सौ रुपए पुरस्कृत किया।

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