काझी में भागवत कथा में मनाया गया भगवान श्रीकृष्ण और राम जन्मोत्सव

संस, बनमनखी (पूर्णिया) : अनुमंडल क्षेत्र के काझी ब्राह्माण टोला के कृष्ण मंदिर प्रांगण में 24 फरवरी से सनातन भागवत परिवार एवं जनसहयोग से संगीतमय श्रीमद भागवत कथा भक्ति ज्ञान यज्ञ का आयोजन जारी है। यह आयोजन दो मार्च तक चलेगा। वृदांवन से आये कथावाचक आचार्य व्यास अवधेश कृष्ण कुंदन महराज ने पाचवें दिन भगवान श्रीकृष्ण और भगवान राम जन्मोत्सव के बारे में श्रद्धालुओं को बताया। लोगों ने धूमधाम के साथ श्रीकृष्ण एवं राम जन्मोत्सव मनाया। कथावाचक महाराज ने जैसे हीं जन्म की कथा सुनाना आरंभ किया तो भक्त जमकर झूम उठे। महाराज ने कहा कि जिस समय भगवान कृष्ण का जन्म हुआ अपने आप जेल के ताले टूट गये और सभी पहरेदार अचेत हो गये। वासुदेवजी व देवकी बंधन मुक्त हो गये। यह सब प्रभु की कृपा से ही संभव हो सका। भक्ति भाव से होता है प्रभु का दर्शन :

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कथा वाचक ने जब-जब होई धर्म की हानि, बाढ़हि असुर अधम अभिमानी, तब-तब धरि प्रभु मनुज शरीरा, हरहि कृपा निज सज्जन पीरा आदि चौपाई सुना कर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। कथावाचक ने प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने जेल में वासुदेव के यहां अवतार लेकर संतों व भक्तों का सम्मान बढ़ाया। उन्होंने कहा कि अपने अंदर बुराई विद्यामान न रहे इसके लिए संतों का सत्संग का मार्ग अपनाएं। उन्होंने कहा कि जब भक्ति मार्ग में भक्त लीन रहते हैं तब प्रभु का दर्शन होता हैं। जब कंस ने सभी मर्यादाएं तोड़ दी तो प्रभु श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था और पृथ्वी पर राक्षस आतातायी बढ़ने लगा था तो नर रूप में भगवान राम जन्म लिए थे। उन्होंने कहा चौरासी लाख योनियों के भटकने के बाद जीव को मानव रूपी तन की प्राप्ति होती है। मगर अज्ञानी मनुष्य इसकी महत्व को नहीं पहचान पाता है। मनुष्य लोभ, मोह, अहंकार, मिथ्या, छल-प्रपंच आदि पाप कर्मों में अपने शरीर को नष्ट कर देते हैं। उन्होंने कहा भागवत सुनने से बैकुण्ठ अर्थात मोक्ष की प्राप्ति होती है। भागवत का यज्ञ करने से इलाका का वातवरण शुद्ध होता है। देवता के प्रसन्न होने से देवत्व की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि कलियुग में भागवत कथा का श्रवण करना सबसे पुण्यकारी काम माना गया है। भागवत कथा का श्रवण करने का अवसर भी लोगों को प्रभु की इच्छा से मिलती है। उन्होंने कहा कि जो पुण्य हमें गंगा स्नान, काशीवास, जीवन पर्यत तीर्थों पर भ्रमण करने से प्राप्त होता है। इसलिए इस देह को उपयोग व्यर्थ कामों मे न करके जनकल्याण व ईश्वर भक्ति में समर्पित कर दें। कथा के दौरान भगवान कृष्ण की जीवंत झाकियां सजाई गई, जिसे देखकर श्रद्धालु अभिभूत हो उठे। कथावाचक के भजन पर झूमे श्रद्धालु :
इस दौरान भगवान कृष्ण की वेश में नन्हें बालक के दर्शन करने के लिए लोग लालायित थे। कथावाचक महाराज ने कहा कि वासुदेव भगवान श्रीकृष्ण इस संसार के पालन हार हैं। एक टोकरी में लेकर अथाह यमुना नदी को पार कर यशोदा मां और नंद के पास छोड़ जाते हैं। जिसकी कानोंकान खबर कंस को नहीं लग पाती। यहां भगवान श्रीकृष्ण के गोकुल में नंद के आनंद भयों जय कन्हैया की. हाथी घोड़ा पालकी, नंद घर आनंद भये, भये प्रकट कृपाला दिन दयाला, बाजे बाजे रे बधाई सहित अनेकों भजन सुनाकर श्रद्धालुओं को आनंदित कर दिया। कृष्ण जन्मोत्सव के दौरान श्रद्धालुओं ने माखन मिश्री का भोग लगाकर जमकर उत्सव मनाया गया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य रूप से सुभाषचंद्र झा, धीरेंद्र नारायण झा, नवीन मिश्र, संजीव झा, नरेंद्र कुमार झा, ब्रजेश मिश्र, अनित कुमार मंटी, सत्यदेव झा के अलावा सैकड़ों ग्रामीण जुटे हुए हैं।

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