शिक्षा के अधिकार का जिले में नहीं हो रहा ठीक से अनुपालन

बेतिया। बढ़ता बिहार, बदलता बिहार को साकार करने के लिए शिक्षा को प्राथमिकता देने के प्रति सरकार भले ही संजीदा हो, पर अधिकारियों की उदासीनता से शत-प्रतिशत उपलब्धि अभी भी कोसों दूर है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के क्रियान्वयन में कई झोल हैं। जिले के कई विद्यालयों में ठीक ढंग से इस नियम का पालन निजी विद्यालयों में नहीं हो रहा है। इस अधिनियम यह प्रावधान है कि प्रत्येक निजी विद्यालय कुल 25 प्रतिशत सीटों पर गरीब बच्चों का नामांकन होगा। इन बच्चों की फीस व अन्य खर्च सरकार वहन करेगी। लेकिन गरीब बच्चों को इस योजना का लाभ सही तरीके से नहीं मिल पा रहा है। जिला में 672 निजी विद्यालय विभिन्न बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं। कुछ विद्यालय बिहार बोर्ड, से तो कई सीबीएसइ से संबद्ध हैं। इन सभी विद्यालयों को प्रत्येक वर्ष 25 प्रतिशत गरीब छात्रों का नामांकन करना है। छात्रों की फीस के लिए शिक्षा विभाग के पास दावा भी करना है। वित्तीय वर्ष 2017 से 19 तक के दो करोड़ की राशि अभी लंबित है।


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355 स्कूलों में शिक्षा के अधिकार के मानकों का पालन नहीं
जिले के 355 निजी विद्यालयों ने शिक्षा के अधिकार के मानकों का पालन नहीं किया है। इस कारण उनके आवेदनों को रद्द कर दिया गया है। जिले के सभी निजी विद्यालयों से ई संबंधन पोर्टल पर विद्यालयों को प्रस्वीकृति के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे। जिसमें जिले से 671 विद्यालयों द्वारा आवेदन किया गया था। इसमें से 355 विद्यालयों का आरटीई के मानकों के अनुरूप नहीं पाए जाने के कारण आवेदन निरस्त किया गया है। वहीं 316 विद्यालयों के लिए सत्यापन का कार्य संबंधित प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों द्वारा किया जाएगा। समग्र शिक्षा अभियान के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ने कहा कि 23 मार्च तक अचूक रूप से सभी निजी विद्यालयों का सत्यापन सुनिश्चित किया जाए।
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निजी विद्यालयों को देनी होती है जानकारी
सभी निजी स्कूल प्रबंधन को घोषणा पत्र देना होता है। जिसके अंतर्गत 25 प्रतिशत कमजोर एवं अलाभकारी कोटे के अंतर्गत नामांकित छात्र-छात्राओं का नाम, माता पिता का नाम, पता, जन्मतिथि, नामांकित वर्ग, जाति, कोटि, लिग, चयन का आधार और आधार, आय प्रमाण पत्र का सर्टिफिकेट नंबर, बीपीएल कार्ड नंबर देना होता है। इसके अलावा स्कूल प्रबंधन को यह घोषणा पत्र देना होता कि राइट टू एजुकेशन एक्ट के तहत कमजोर एवं अलाभकारी बच्चों का 25 प्रतिशत कोटे के अंतर्गत छात्रों का नामांकन लिया गया है। नामांकित बच्चों के किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता है।

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