ग्रामीण डाक सेवक हैं शोषण के शिकार

संवाद सूत्र, चौसा (मधेपुरा) : अखिल भारतीय ग्रामीण डाक सेवक संघ के आह्वार पर आयोजित दो दिवसीय हड़ताल मंगलवार को भी जारी रही। डाककर्मियों ने अपनी 22 सूत्री मांगों के समर्थन में उपडाकघर चौसा के मुख्य द्वार पर पहुंच कर नारेबाजी की। डाककर्मियों ने बताया कि हमारी मुख्य मांगों में ग्रामीण डाक सेवकों को नियमित करना, पुरानी पेंशन नीति लागू करना, एक जनवरी 2020 से जून 2021 तक बकाया डीए का भुगतान करना, निजीकरण को हटाना, शत प्रतिशत अनुकंपा नियुक्ति, बैंकों की तर्ज पर पांच कार्य दिवस काम करना आदि शामिल है। बता दें कि लगातार दो दिन हड़ताल की वजह से आमलोगों में काफी परेशानी देखी गई। खासकर खाताधारकों की जमा निकासी, एसबी, आरडी, सुकन्या समृद्धि योजना, पीएलआइ आदि से जुड़े ग्राहकों को मार्च के अंतिम महीने में जमा नहीं होने की वजह से ज्यादा चितित देखा गया। वहीं स्पीड पोस्ट व रजिस्ट्री करवाने के लिए आए ग्राहकों को भी बिना काम करवाए वापस लौटना पड़ा। उपडाकघर चौसा अंतर्गत सभी ग्रामीण डाकघरों में भी जमा-निकासी सहित सभी प्रकार के डाक का आदान प्रदान भी पूरी तरह ठप रहा। संघ के नेता अरविद भगत ने बताया कि ग्रामीण डाकघर डाक विभाग की रीढ़ है। कुल राजस्व का 80 प्रतिशत कलेक्शन ग्रामीण डाकघरों से ही होता है। कौशल पर्वे ने बताया कि यह दो दिवसीय हड़ताल सिर्फ सांकेतिक है। मांगे पूरी नहीं होने पर संघ द्वारा अनिश्चित हड़ताल किया जाएगा। वहीं उपडाकपाल सुजीत कुमार ने बताया कि लगातार दो दिन सभी प्रकार के कामकाज ठप रहने की वजह से लाखों का कारोबार प्रभावित हुआ है। हड़ताल को सफल बनाने में डाककर्मी धर्मेंद्र कुमार, अभय यादव, नवीन कुमार, मुकेश कुमार मंडल, मनीष कुमार, संजय यादव, कामेश्वर मंडल, श्रीकांत राय, जयकांत कुमार, कुंदन घोषईवाला आदि सक्रिय दिखे।


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