पंचायत सेवक की कमी से विकास कार्य बाधित

संवाद सूत्र, बहादुरगंज (किशनगंज) : सरकारी कर्मियों के ऊपर जरूरत से अधिक विभागीय कार्यों का बोझ होने के कारण विभिन्न विकास कार्य जहां अवरूद्ध हो रहा है। वहीं आमजनों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद इस गंभीर मुद्दे पर सरकार या वरीय पदाधिकारियों का ध्यान नहीं देना समझ से परे है। पंचायती राज में ग्रामीण क्षेत्रों के विकास का रास्ता पंचायत के माध्यम से होता है। जिसकी जिम्मेदारी मुख्य रूप से सरकारी कर्मी पंचायत सेवक के जिम्मे है। बताते चले कि बहादुरगंज प्रखंड अन्तर्गत 20 पंचायतों के विकास कराने की जिम्मेदारी भी यहां पदस्थापित मात्र आठ पंचायत सेवक के जिम्मे ही है। इन आठ पंचायत सेवकों में से सात नियमित पंचायत सेवक हैं। जबकि एक सेवानिवृत्त पंचायत सेवक का सेवाकाल तत्काल कुछ दिनों के लिए एक्सटेंशन किया गया है। ताकि प्रखंड के 20 पंचायतो का कार्य किसी तरह चलाया जा सके। परन्तु एक पंचायत सेवक के पास दो या दो से अधिक पंचायतों का प्रभार रहने के कारण चाहकर भी अपने अपने पदस्थापित पंचायत में समुचित समय नहीं दे पाते हैं। फलस्वरूप इसका खामियाजा आमजनों को किसी न किसी रूप में भुगतना पड़ता है। नाम नहीं छापने के शर्त पर कई पंचायत सेवकों ने बताया कि एक-एक पंचायत सेवक को दो-दो, तीन-तीन पंचायत के कार्यो का प्रभार सौपे जाने पर पंचायत सेवक अपने आप को असहज महसूस कर रहे हैं। पंचायत सेवकों को मुख्यमंत्री ग्रामीण सात निश्चय योजना जैसे विकास कार्यों के साथ विभिन्न पेंशन योजना, कबीर अंत्येष्टि सहित 29 तरह के विभागीय कार्यों को देखना पड़ता है। विभागीय कार्यो के निष्पादन में थोड़ी सी भी चुक परेशानी का कारण बन सकता है। ऐसे में एक साथ कई पंचायतों का कार्य को देखना मुश्किल हो गया है। परन्तु पंचायत सेवकों की कमी व वरीय पदाधिकारी के आदेश के मद्देनजर नहीं चाहते हुए भी जिम्मेदारी संभालना पड़ता है।



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