डीईओ ने 25 शिक्षकों पर दर्ज करायी प्राथमिकी

जागरण संवाददाता, शेखपुरा:

आखिरकार जिला शिक्षा पदाधिकारी रंजीत पासवान ने 25 शिक्षकों के खिलाफ एससी-एसटी थाने में प्राथमिकी दर्ज करा दी। शेखपुरा के एससी-एसटी थाने में प्राथमिकी 05/2022 दर्ज करके पुलिस ने इसकी जांच भी शुरू कर दी है। थानाध्यक्ष ने बताया जिला शिक्षा पदाधिकारी के लिखित आवेदन पर यह प्राथमिकी दर्ज की गई है। इसमें पांच नामजद और लगभग 20 अन्य के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट सहित आधा दर्जन विभिन्न धाराओं के खिलाफ केस दर्ज की गयी है। नामजद शिक्षकों में ज्ञानदेव यादव,ब्रजेश कुमार,मुकेश कुमार सिंह,अभय कुमार व राजेन्द्र यादव के नाम शामिल हैं। इन सभी पर 26 मार्च शनिवार को जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय में घुसकर शिक्षा पदाधिकारी के साथ अभद्र व्यावाहर करने,जाति सूचक शब्द कहकर मानसिक उत्पीड़न करने और धमकी देने का आरोप है। इधर, शिक्षक संघों के नेताओं ने शिक्षा पदाधिकारी के इस कदम को शिक्षकों को भड़काने और एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। संघ के पदाधिकारी राकेश ने कहा है शिक्षा पदाधिकारी के रवैये से आजिज होकर शिक्षकों का प्रतिनिधिमंडल शनिवार को उनसे मिलने गया था। इसी दौरान शिक्षा पदाधिकारी के रवैये से क्षुब्ध और अजीज शिक्षक के साथ बहस थोड़ा तीखा हो गया।

हड़ताल के दूसरे दिन भी बैंक बंद, कामकाज रहा बाधित
जागरण संवाददाता, शेखपुरा:
कर्मचारी संघों की देशव्यापी हड़ताल के दूसरे दिन मंगलवार को भी शेखपुरा में कामकाज बाधित रहा। बैंकों में पूर्ण हड़ताल रहा। बैंकों में ताला लटके रहने की वजह से लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी। डाकघरों में भी हड़ताल रहा। इस हड़ताल का व्यापक असर जिले के स्वास्थ्य सेवा पर भी पड़ा। हड़ताल के समर्थन में स्वास्थ्यकर्मियों ने सदर अस्पताल के गेट पर मंगलवार को धरना दिया। इसमें बड़ी संख्या में नर्सें शामिल हुईं। धरना को संबोधित करते हुए संघ की अध्यक्ष धर्मशीला कुमारी ने सरकार पर छोटे कर्मचारियों के हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। कहा, लोक कल्याणकारी व्यवस्था वाले राज्य में सरकार में शीर्ष पर बैठे लोग लगातार अपनी सुख सुविधा बढ़ाने का काम कर रहे हैं और छोटे कर्मियों की सुविधाओं में कटौती करते जा रहे हैं। पेंशन को छोटे कर्मियों का मौलिक अधिकार बताते हुए कहा 30-35 साल सरकार की सेवा करने के बाद रिटायर्ड होने पर पेंशन ही जीवन का आधार होता है,जिसे सरकार ने बंद कर दिया है। पेंशन को बुढापे की लाठी और सहारा बताते हुए पुरानी पेंशन नीति को फिर से लागू करने की मांग की। साथ ही संविदा और ठेके पर बहाली को समाप्त करके नियमित बहाली की मांग की।

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