गेहूं में सुखेड़ा रोग से किसानों की बढ़ी परेशानी

जागरण संवाददाता, खगड़िया : खेतों में खड़ी गेहूं की फसल अचानक कई जगहों पर बीच-बीच में सूखने लगी है। किसान अपनी शब्दाबली में इसे सुखेड़ा रोग बताते हैं। इस रोग के प्रकोप बाद किसानों के माथे पर चिता की लकीरें खिच गई है। अब गेहूं की फसल तैयार होने पर है। इससे पहले इस रोग ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। किसानों के अनुसार इससे गेहूं के उत्पादन पर प्रभाव पड़ेगा। एक ओर मौसम के तल्ख तेवर और ऊपर से यह रोग कोढ़ में खाज वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा है।

सदर प्रखंड के दहमा बहियार स्थित गेहूं की फसल में इसका प्रभाव दिखने लगा है। किसान हिमालय सिंह ने बताया कि पहले तो इसे मौसम की गर्मी तथा तेज पछुआ हवा का प्रभाव मानकर चल रहे थे। लेकिन यह तो सुखेड़ा रोग है। रोग से निजात के लिए कई किसानों ने पटवन शुरू कर दिया है। किसान अरुण सिंह ने कहा कि पटवन से रोग की रफ्तार जरूर कम हुई है, लेकिन खेत में बीच- बीच में कई जगहों पर फसल सूखने से चिंता बनी हुई है। इसके चलते उत्पादन कम होने की प्रबल संभावना है। सरकारी स्तर पर इस रोग से बचाव के लिए अब तक कोई प्रयास नहीं किया गया है। अलबत्ता किसान फसल की सिचाई कर बचाव का प्रयास जारी रखे हुए हैं। यह प्रयास कितना कारगर होगा इसकी कहीं कोई गारंटी नहीं है। कृषि वैज्ञानिक डा. मनीष भूषण ने कहा कि किसी भी किसान की तरफ से इस रोग के संबंध में ना तो शिकायत की गई है और न ही सलाह मांगी गई है। वैसे जांच के बाद ही पता चलेगा कि फसल के सूखने की वजह क्या है।

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