छात्र केंद्रित शिक्षण व मूल्यांकन पद्धति अपनाएं शिक्षक : प्रो. विद्या चौधरी

जागरण संवाददाता, मुंगेर : राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आलोक में शिक्षकों को परंपरागत शिक्षा पद्धति से आगे बढ़कर कुछ बदलाव करने की जरूरत है। छात्र केंद्रित शिक्षण व मूल्यांकन पद्धति अपनाएं शिक्षक। शिक्षक की शिक्षण पद्धति, आकर्षक व्यक्तित्व, व्यवहार व उनके संप्रेषण का माध्यम अच्छा हो, जिससे छात्रों पर सकारात्क प्रभाव पड़े। उक्त बातें मुख्य अतिथि सह विद्यालय प्रबंधकारिणी समिति के सहसचिव प्रो. विद्या चौधरी ने वरिष्ठ माध्यमिक सरस्वती विद्या मंदिर, मुंगेर में भारती शिक्षा समिति, बिहार के तत्वावधान में आयोजित त्रिदिवसीय आचार्य कार्यशाला के दूसरे दिन कही। प्रधानाचार्य संजय कुमार सिंह ने कहा कि कार्यशाला के आयोजन के माध्यम से शिक्षक अपने विषय को श्रेष्ठ बनाने व भैया-बहनों के साथ-साथ स्वयं का विकास करने पर चितन करें, जिससे सबका विकास हो। इस अवसर पर उपप्रधानाचार्य उज्ज्वल किशोर सिन्हा, आचार्या पाणिनी मिश्रा,सरोज कुमारी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक देवेंद्र कुमार, कीर्ति रश्मि सहित काफी संख्या में लोग मौजूद थे। वही, सरस्वती शिशु मंदिर सादीपुर तीन दिवसीय वार्षिक कार्यशाला के दूसरे दिन का शुभारंभ विद्या भारती बिहार क्षेत्र के पूर्व सचिव दिलीप कुमार झा ,भारती शिक्षा समिति के मुंगेर विभाग प्रमुख राजेश कुमार रंजन,सरस्वती शिशु मंदिर सादीपुर के जयराम सिंह व प्रधानाचार्य अखिलेश पांडेय ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। दिलीप कुमार झा ने कहा कोरोना काल के बाद हम लोगों का कर्तव्य होता है कि शिक्षा को टेक्नोलाजी के साथ जोड़कर आगे बढ़ाना। उन्होंने कहा कि मातृभाषा से बच्चों में समझने की क्षमता अधिक जागृत होती है, जो प्राथमिक शिक्षा के लिए अति आवश्यक है। इस अवसर पर जयराम सिंह, सहित विद्यालय के सभी आचार्य व आचार्य मौजूद थी।

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