गंगौर महंथ ने एडीएम पर लगाए गंभीर आरोप, न्याय की लगाई गुहार

जागरण संवाददाता, खगड़िया : टाइटिल कोर्ट के आदेश के खिलाफ आदेश पारित करने के मामले में खगड़िया के एडीएम शत्रुजय मिश्रा की गर्दन फंस सकती है। श्री राम जानकी ठाकुरबाड़ी ओलापुर गंगौर के महंथ दयासागर दास ने एडीएम पर आरोप लगाया है कि उनकी मंशा पूरी नहीं की गई, इसलिए 40 साल पहले के दीवानी कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए एडीएम ने जमाबंदी रद करने का आदेश 31 दिसंबर 2021 को पारित कर दिया। इतना ही नहीं 40 साल पहले दीवानी कोर्ट द्वारा निर्धारित वंशावली को भी एडीएम द्वारा खंडित करते हुए बाहरी जिले की वंशावली को प्रमाणित कर दिया गया। महंथ ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री, मानवाधिकार आयोग, सामान्य प्रशासन विभाग व डीएम, एसपी से की है।कहा गया है कि खगड़िया के दीवानी कोर्ट द्वारा केस नंबर 10-81, महंथ जानकी बल्लभ दास बनाम बिहार धार्मिक न्यास परिषद में आदेश पारित किया गया था कि यह संपत्ति महंथ जानकी बल्लभ दास की निजी संपत्ति है और बिहार धार्मिक न्यास परिषद को किसी प्रकार के हस्तक्षेप पर रोक लगाया गया था। उक्त कोर्ट द्वारा धार्मिक न्यास परिषद को दंडित भी किया गया था। उसमें कोर्ट द्वारा वंशावली भी घोषित की गई थी। मगर 40 साल बाद केस नंबर 86-21, 87-21 की सुनवाई एडीएम द्वारा करते हुए कोर्ट की अवमानना की गई और दीवानी कोर्ट के आदेश के खिलाफ आदेश पारित कर सिस्टम को ही ध्वस्त कर दिया गया। आरोप है कि एडीएम ने निजी संपत्ति को बिहार धार्मिक न्यास परिषद की संपत्ति घोषित कर दी और 40 साल बाद जब धार्मिक न्यास परिषद ने प्रपंच रचकर उन्हें नोटिस किया, तो जिला जज के कोर्ट में केस 02-20 दायर किया गया। मामला अभी लंबित ही है, तो एडीएम ने गलत आदेश पारित करने में क्यों तत्परता दिखाई। अक्सर होते रहा है कि कोर्ट के आदेश अथवा कोर्ट में मामला लंबित रहने पर कार्यपालक द्वारा हस्तक्षेप नहीं किया जाता है। महंथ ने विधिवत न्याय पाने और इसके दोषियों को सजा दिलाने की बात कही है। कहा कि मैंने एडीएम न्यायालय को कोर्ट का सारा साक्ष्य प्रस्तुत किया। लेकिन एडीएम स्तर से गलत आदेश पारित कर दिया गया। कोट


मैंने कोई गलत आदेश पारित नहीं किया है। महंथ का आरोप निराधार है। किसी प्रकार की मेरी गलत मंशा नहीं है।
शत्रुजय मिश्रा, एडीएम, खगड़िया।

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