मुरादें पूरा करती हैं सिकंदरा की बड़ी दुर्गा मां

फोटो- 03 जमुई- 24,25

संवाद सहयोगी, जमुई : सिकंदरा बाजार स्थित बड़ी दुर्गा मंदिर की स्थापना वर्ष 1881 में गिद्धौर रियासत के तत्कालीन राजा द्वारा की गई थी। जानकार बताते हैं कि उस समय जमुई, लखीसराय और शेखपुरा जिले को छोड़कर सिर्फ सिकंदरा में ही मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित होती थी। लंबे समय बाद जब सभी जगहों पर मां की प्रतिमा स्थापित किया जाने लगा तो इसका नाम बड़ी दुर्गा स्थान रख दिया गया।
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मंदिर का इतिहास
मंदिर के निर्माण में रामभजन साह एवं शिव भजन साह ने अपनी जमीन दान दी थी। वहीं तत्कालीन थानाध्यक्ष दशय राम गेड़ीवाल ने पुजारी शंकरदत्त पांडेय व स्थानीय नागरिकों के सहयोग से मंदिर का निर्माण कराया गया था। विगत 15 वर्षों से इस मंदिर में वासंतिक नवरात्रि के अवसर पर माता दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जा रही है।

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मंदिर तक पहुंचने का मार्ग
इस मंदिर तक जमुई स्टेशन उतरने के पश्चात महिसौड़ी चौक पर बस या आटो के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा लखीसराय से अथवा नवादा से भी बस द्वारा मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
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कोट:-
इस मंदिर में स्थापित मां दुर्गा की पूजा अर्चना सच्चे मन से करने से नि:संतान महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है। यहां प्राचीन समय से ही नवरात्र के मौके पर सप्तमी, अष्टमी, नवमी एवं दशमी को मेला का आयोजन होता है। मां का आशीर्वाद लेने भक्त दूर-दूर से आते हैं। मां के समक्ष जो भी मन्नतें मांगते हैं, उनकी मुरादें अवश्य पूरी होती है।
सुरेंद्र पंडित, अध्यक्ष, बड़ी दुर्गा मंदिर, पूजा समिति, सिकंदरा

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