गुरु की शरण में जाने से ही आत्म ज्ञान की प्राप्ति

संवाद सूत्र, चंद्रमंडी (जमुई): आनंदमय जीवन के लिए आत्म ज्ञान प्राप्त करना जरूरी है। भौतिक ज्ञान व संपदा से जीवन में शांति एवं आनंद की अनुभूति नहीं मिल सकती। आत्मज्ञान की प्राप्ति महापुरुषों व समर्थ व्यक्तियों की शरण में ही मिल सकती है। वे लोगों को आत्मज्ञान प्राप्ति का रास्ता दिखाते हैं।

उक्त बातें धनबाद से आए भोला बाबू ने शनिवार को रामाश्रम सत्संग परिवार द्वारा चकाई के सहाना कालोनी में आयोजित दो दिवसीय आंतरिक सत्संग समारोह में प्रवचन करते हुए कही। उन्होंने कहा कि हमारे समर्थ गुरु परमसंत डा. चतुर्भुज सहाय जी महाराज ने मानव जीवन के इस सर्वोच्च लक्ष्य आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए सरल एवं शीघ्र फलदायक साधनशैली को अपने अनुभवों के आधार पर प्रतिपादित किया है। गुरु के समक्ष पहुंचने मात्र से ही मन की अशांति दूर हो जाती है और मन को परम शांति मिलती है। उन्होंने कहा कि ईश्वर तो निराकार होता है लेकिन गुरु के रूप में साकार रूप धारण कर पृथ्वी पर अवतरित होता है। गुरु महाराज ने कहा कि श्रेष्ठ पुरुषों की संगत करने से हमारा व्यवहार बदल जाता है। भगवान कृष्ण ने जिस प्रकार अधर्म का सफाया किया, ठीक उसी प्रकार गुरु महाराज ने अपनी साधना के मार्ग से अनेक हृदयों की कालिमा को स्वच्छ करके उनकी बुराइयों को दूर किया। प्राय: लोग कहा करते हैं कि ध्यान की क्रिया समाज से अलग होकर तपस्या करने वाले ही लोग ही कर सकते हैं और ईश्वर दर्शन उन्हीं का भाग्य है कितु रामाश्रम सत्संग के संस्थापक गुरु परम संत डा. चतुर्भुज सहाय जी महाराज ने इस बात को स्वीकार नहीं किया है। प्रभु से मिलन को भक्ति और साधना सहित कई तरीके हैं। इसमें साधना सबसे श्रेष्ठ तरीका है। साधना में गुरु की शक्ति छिपी होती है, वह प्रभु मिलन को आसान बनाती है। उन्होंने साधना के तरीके पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस मौके पर सत्संग परिवार के मणिकांत राय, महेन्द्र सिंह, अशोक लहेरी, राजेन्द्र साह, सीताराम साह, गोपाल वर्णवाल, पंकज केशरी, अवधकिशोर केसरी, दशरथ यादव, शेखर सिंह समेत बड़ी संख्या में पुरूष एवं महिला सत्संग प्रेमी मौजूद थे।

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