रम•ान में जन्नत के दरवा•ो खोल दिए जाते हैं : कारी सरफाराज आलम

खगड़िया : रमजानुल मुबारक बहुत ही पवित्र और मुबारक महीना है। इस महीने में अल्लाह ताला जन्नत के दरवा•ो खोल देते हैं और जहन्नम के दरवा•ो को बंद कर दिया जाता है। यह महीना बहुत ही बरकतों और रहमतों वाला महीना है।

इस माह का पहला अशरा रहमत है, दूसरा अशरा मगफिरत और तीसरा अशरा जहन्नम से छुटकारा कहलाता है। जब रम•ान की पहली रात होती है, तो शैतान को कैद कर दिया जाता है। रम•ान के शाब्दिक अर्थ होता है झुलसा देने वाला यानी अल्लाह ताला अपने फजल से बंदों के गुनाह को झुलसा (जला) देते हैं। रम•ान के पूरे महीना में तमाम बालिग मर्द और औरत पर एक महीना का रो•ा फर्ज करार दिया गया है।

इस मुबारक महीना में कुरआन मजीद अल्लाह ताला ने हजरत मोहम्मद (स) पर नाजिल यानी उतारा गया और हजरत मोहम्मद (स) भी खास तौर से इसी माह में हजरत जीबरईल (अ) फरिश्तों के साथ कुरआन मजीद एक दूसरे को सुनाया करते थे।
रमजान मुबारक की सबसे बड़ी फजीलत यह है कि हर एक नेकी (पुण्य) के बदले सत्तर नेकी अल्लाह ताला अता फरमाते हैं।
नफिल नमाज का सवाब (पुण्य) फर्ज के बराबर और फर्ज नमाज का दर्जा सत्तर (70) फर्ज बराबर हो जाता है।
अल्लाह ताला ने इस उम्मत को पांच चीजें ऐसी दी जो दूसरे उम्मत को नहीं दी गई। पहला रोजेदार के मुंह की बू अल्लाह ताला के नजदीक मुश्क से ज्यादा पसंदीदा है। दूसरा इफ्तार के समय खुदा की दूसरी मखलुक भी रोजेदार के लिए दुआ करती है। तीसरा रोजेदार के लिए हर दिन जन्नत को सजाया जाता है।
चौथा शैतान को कैद कर दिया जाता है। पांचवां रोजेदारों की रम•ान की आखिरी रात में मगफिरत कर दी जाती है। इस मुबारक महीना में अपने लिए, देश की तरक्की व अमन- शांति के लिए भी खूब दुआ करें।
अपने खादिम (नौकरों) के बोझ को हल्का कर दें।
कुरआन मजीद की तिलावत खूब करें
। पास- पड़ोस के गरीब, विधवा, अनाथ और कमजोर लोगों को भी अपने इफ्तार में शामिल करने की कोशिश करें।
कारी मु. सरफराज आलम, जिला महासचिव,
जमीअत उलेमा ए हिद, खगड़िया, बिहार।

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