इफ्तार और सेहरी के वक्त मांगी गई दुआ होती है कबूल : जियाउद्दीन

संस,सिमरी बख्तियारपुर(सहरसा) : रमजान का मुबारक महीना तमाम महीनों में अफजल होता है। यूं तो हम पूरे साल कई महीनों में रोजा रखते हैं जैसे शबे बरात और शबे मेराज का रोजा लेकिन जो फजीलतें और रहमतें रमजान के रोजे रखने में मिलती है वह किसी और महीने में नहीं।

उक्त बातें मौलाना जियाउद्दीन नदवी ने कही। उन्होंने कहा कि वैसे तो रमजान का पूरा महीना और हर एक लम्हा फजीलत वाला होता है लेकिन सेहरी और इफ्तार का वक्त एक ऐसा वक्त है जब रमजान के महीने में इन दोनों वक्त मांगी गई दुआ अल्लाह ताला के द्वारा कबूल की जाती है। इसलिए हर मुसलमान को इन दो वक्तों में अल्लाह से ज्यादा से ज्यादा दुआ मांगनी चाहिए और बाकी वक्तों में अल्लाह की दिल से खूब इबादत करनी चाहिए।

हदीसों में आया है कि अल्लाह तीन लोगों की दुआएं कभी रद नहीं करता और उन्हें हमेशा कबूल फरमा लेता है। वह तीन आदमी हैं, रोजेदार, आदिल बादशाह और मजलूम द्वारा मांगी गई दुआ। मौलाना कहते हैं कि रोजेदार की दुआ हमेशा इफ्तार के वक्त कबूल कर ली जाती है।यहां तक कि इस मुबारक महीने की इतनी फजीलत है कि रमजान के पूरे महीने में हर रोज हर शख्स की एक न एक दुआ कबूल होती है। वे कहते हैं इफ्तार के समय दुरूद ए पाक पढ़ने के बाद आप जो दुआ और हाजत आप मांगना चाहते हैं; उसे भी जरूर शामिल करें।किसी भी दुआ की शुरुआत अल्लाह की तारीफ फिर, प्यारे नबी सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम पर दुरूद भेजने के बाद तमाम उम्मते मोहम्मदिया के हक में दुआ करनी चाहिए।इसके बाद अपनी निजी हाजतों की दुआ मांगनी चाहिए ऐसा करने से अल्लाह हमारी दुआ जल्दी कबूल करता है।

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