मक्का खेती से खुशहाल हो रहे कोसी के किसान

संसू, नवहट्टा (सहरसा )। मकई की खेती के सहारे कोसी इलाके के किसान अपनी खुशहाल हो रहे हैं। अनाज मंडी पूर्णिया के गुलाबबाग में बड़ी कंपनी अपने एजेंट के माध्यम से मक्का खरीदने आने लगे हैं।

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कोसी की बदलती धारा में खेती
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मक्का की खेती पूर्वी कोसी तटबंध के अंदर के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। सहरसा , दरभंगा, सुपौल, मधुबनी, खगड़िया जिले से जुड़े कई गांव में कोसी की धारा बदलने के कारण से किसानों के सामने सिचाई की समस्या बढ़ गई थी। किसानों को पारंपरिक खेती में मुनाफा कम और घाटा ज्यादा होने लगा था। कम समय में उत्पादन, कम सिचाई और ज्यादा मुनाफा के कारण से किसान ने मक्के को अपना लिया है। कोसी इलाके में मक्का एक प्रमुख नगदी फसल बन गया है।

--- किसान हो रहे खुशहाल
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मक्का की खेती से कोसी इलाके की किसान खुशहाल हो रहे हैं । जून से अक्टूबर माह तक जहां कोसी नदी का प्रकोप झेलना पड़ता है । वहां बाढ़ आने से पहले ही मक्के की फसल कट जाता है। फरवरी माह में लगाया मक्का की उपज किसान बाढ़ से पहले ही ले लेते हैं। बकुनियां के देवेंद्र प्रसाद यादव ने अपने दोनों पुत्र को इंजीनियर मक्के की खेती से ही बनाया। डरहार के महेश्वर यादव अपनी पुत्री को चीन में मेडिकल की पढ़ाई खेती के बल पर ही दिलवा रहे हैं। शितली के नरेश यादव , जगजीवन साह अपने बच्चे को दिल्ली एवं बीएचयू में पढ़ा रहे हैं ।
--- बड़ी-बड़ी कंपनियां खरीद रहीं मक्का
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पूर्णिया स्थित गुलाबबाग अनाज मंडी सीमांचल और मिथिलांचल का सबसे बड़ी अनाज मंडी के रूप में जाना जाता है। यहां न सिर्फ मकई बल्कि अन्य फसल भी किसान बेचने जाते हैं। मक्के के व्यवसाय से जुड़े व्यापारी दीपक चौधरी बताते हैं कि गुलाबबाग से खरीद किया जाने वाला मक्का न सिर्फ देश बल्कि बांग्लादेश, कनाडा, आस्ट्रेलिया, नेपाल समेत कई देशों में बिकने के लिये जाता है। हालांकि सरकारी उदासीनता के कारण से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। मकई के लिए अधिप्राप्ति केंद्र नहीं खोले जाने के कारण किसान बिचौलियों के हाथों मंडी में अपने फसल को बेचने पर मजबूर होना पड़ता है।

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