अलग-अलग स्तर से हो रहा है तालाब-पोखरों का जीर्णोद्धार

जागरण टीम, बेलदौर (खगड़िया): जल संरक्षण को बढ़ावा देने को लेकर सरकारी स्तर पर आरंभ किए गए जल जीवन हरियाली के तहत जिले के पोखर व तालाबों का जीर्णोद्धार कार्य आरंभ किया गया है। जिले में तालाब व पोखरों की कमी नहीं है। पांच सौ के करीब तालाब- पोखर हैं। जिनमें दो सौ सरकारी, तो तीन सौ के करीब गैर सरकारी तालाब व पोखर हैं। इन तालाबों की स्थिति अच्छी नहीं है। देखरेख के अभाव में अधिकांश तालाब व पोखर लगभग मृतप्राय हो चुके हैं। जल जीवन हरियाली योजना के साथ इनके जीर्णोद्धार की उम्मीद जगी है। कुछ पोखरों के जीर्णाेद्धार की दिशा में कार्य किए गए हैं। कई के जीर्णाेद्धार कार्य को योजना में शामिल किया गया है। जल जीवन हरियाली योजना के तहत दो स्तरों पर कार्य किया जा रहा है। इसके तहत मनरेगा योजना के अंतर्गत पांच एकड़ से कम भूखंड में फैले पोखर या तालाब का जीर्णोद्धार किया जाना है। जबकि पांच एकड़ से अधिक के तालाब- पोखर का जीर्णोद्धार लघु सिचाई व जल संसाधन विभाग द्वारा किया जाना है। मनरेगा योजना से नए पोखर निर्माण का प्रावधान भी है। जो निजी स्तर पर भी किया जा सकता है। मत्स्य विभाग को जल जीवन हरियाली योजना के तहत अब तक तीन सौ से अधिक आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। इनमें 20 आवेदन तालाब निर्माण से संबंधित हैं। लघु सिचाई की ओर से पांच एकड़ से अधिक क्षेत्रफल वाले पोखर- तालाब में तेलिहार के बायसी जलकर, बोबिल तालाब का एस्टीमेट तैयार कर विभाग के पास भेजा गया है। जो चीफ इंजीनियर स्तर पर लंबित है। वहीं मनरेगा योजनाओं से बेलदौर प्रखंड क्षेत्र के 15 पंचायतों से 30 आवेदन आए हैं, जो प्रक्रिया में है। दर्जनों पोखर व तालाब दम तोड़ने के कगार पर


समुचित देखरेख और जीर्णोद्धार के अभाव में दर्जनों पोखर व तालाब दम तोड़ने के कगार पर है। बायसी जलकर, बोबिल तालाब, गोगरी के पूर्व के चरवाहा विद्यालय व वर्तमान के कृषि फार्म का विशाल पोखर, महेशखूंट का सनोखर पोखर सहित कई पोखर आज दम तोड़ने की स्थिति में है। इसके अलावे कई ऐसे जलाशय हैं, जो जीवित है, परंतु देखरेख व साफ सफाई के अभाव में बेकार पड़े हैं। जिस पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है।
मत्स्यजीवी सहयोग समिति बेलदौर के मंत्री राजेश कुमार के मुताबिक जल संरक्षण को लेकर तालाब को बढ़ावा देना नितांत आवश्यक है। इसके लिए आमलोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा। पोखर- तालाब को कूड़ेदान नहीं समझें। अतिक्रमण के कारण भी कई तालाबों के अस्तित्व पर संकट खड़े हैं। इस पर प्रशासन को भी ध्यान देने की आवश्यकता है। जल ही जीवन है, इसका संरक्षण करना सभी का दायित्व है।

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