सीमांचल में बदमाशों के साफ्ट टारगेट बन रहे सीएसपी संचालक

जासं, पूर्णिया: सीमांचल में सीएसपी संचालक अब बदमाशों के साफ्ट टारगेट बन रहे हैं। हर साल सीमांचल के पूर्णिया के साथ-साथ कटिहार, अररिया व किशनगंज में पांच दर्जन से अधिक सीएसपी संचालक लूट के शिकार हो रहे हैं। बैंक परिसर अथवा इसके आसपास से ही संचालकों की रेकी होती है और फिर रास्ते में मौका मिलते ही अपराधी लूट की वारदात को अंजाम दे देते हैं। अधिकांश मामलों में लाइनर आसपास के ही होते हैं और यदा-कदा बैंक परिसर से रेकी के आधार पर बदमाश सहजता से वारदात को अंजाम दे देते हैं। तकरीबन दस फीसदी मामलों में बदमाश गोली भी चलाने से नहीं चूकते हैं और गत पांच साल में इस तरह के वारदात में तीन संचालकों की मौत भी हो चुकी है। पूर्णिया में सर्वाधिक एक हजार सीएसपी हैं संचालित बैंकों से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक प्रमंडल के चारों जिलों में सबसे अधिक पूर्णिया जिले में संचालित हैं। राष्ट्रीय कृत व निजी बैंकों को मिलाकर कुल एक हजार से अधिक सीएसपी यहां संचालित है। इसी तरह किशनगंज में पांच सौ, कटिहार में सात सौ व अररिया में लगभग आठ सौ सीएसपी संचालित हो रहे हैं। शनै:-शनै: इसका विस्तार गांव-गांव तक हो रहा है। अधिकांश संचालकों द्वारा संबंधित बैंक की निकटतम शाखा से राशि का उठाव किया जाता है। राशि उठाव के बाद केंद्र तक जाने के दौरान ही ऐसी वारदात होती है। अधिकतम एक लाख का रहता है बीमा, संचालकों पर पड़ती आर्थिक मार बैंक के स्तर से मिली जानकारी के अनुसार सीएसपी संचालकों के लिए अधिकतम एक लाख तक की राशि का बीमा रहता है। एक लाख तक की राशि लूट जाने पर यह राशि बीमा कंपनी के स्तर से उन्हें मिल जाती है। व्यवहारिक तौर पर दो लाख से अधिक राशि का उठाव ही अधिकांश सीएसपी संचालक करते हैं। ऐसे में लूट की वारदात होने पर उन्हें घर से ही जुर्माना भरना पड़ता है। रोजगार का है बड़ा माध्यम, लोगों को भी मिलती है राहत सीएसपी शिक्षित ग्रामीण बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार का बढि़या विकल्प बनता जा रहा है। इसमें एक तय कमीशन पर वे कार्य करते हैं। इसके लिए बहुत अधिक पूंजी की आवश्यकता भी नहीं होती है। ऐसे में लगातार हो रही वारदात से ऐसे युवाओं के उम्मीदों पर पानी फिरने लगा है। अमूमन अपराहन में सीएसपी संचालकों को मिलती है राशि, सहज हो जाती रेकी लूट के शिकार कई सीएसपी संचालकों ने बताया कि अक्सर बैंक में सेंकेंड आवर में ही उन्हें राशि मिलती है। इस दौरान कहीं न कहीं बैंक परिसर अथवा आसपास से उनकी रेकी हो जाती है और रास्ते में वारदात को अंजाम दे दिया जाता है। इसके अलावा पुलिस जांच में कई मामलों के उद्भेदन में यह बात सामने आई है कि सीएसपी केंद्र के आसपास के लोग या यूं कहें कि सीएसपी संचालक को जानने वाले व्यक्ति ही इसमें लाइनर की भूमिका निभाते हैं।


----------------------------------- बाक्स आइटम आइजी के स्तर से समय-समय पर दिए जाते रहे हैं निर्देश, थम नहीं रही घटनाएं
पूर्णिया: सीएसपी संचालकों, व्यापारियों व अन्य तरह के एजेंटों के साथ होने वाली लूट की वारदात पर अंकुश के लिए पूर्णिया रेंज के आइजी द्वारा भी समय-समय पर सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया जाता रहा है। इसके लिए स्थानीय स्तर पर एसपी के निर्देश पर थानावार सीएसपी संचालकों के पुलिस बैठक भी करती है और मोटी रकम की निकासी पर इसकी सूचना पुलिस को देने की बात कही जाती है। इसमें यह तय होता है कि मोटी रकम की निकासी पर पुलिस उन्हें स्काट कर उचित जगह तक पहुंचाएगी। इधर यह पहल व्यवहारिक तौर पर नहीं उतर पाता है। संचालकों को सप्ताह में यदा-कदा सप्ताह में दो से तीन दिन राशि के लिए बैंक जाना होता है। उनकी कोशिश ज्यादा से ज्यादा खाता खोलना व ट्रांजेक्शन करना होता है, इस होड़ में हर बार न तो सूचना देना संभव होता है और न हीं पुलिस इस पर अमल कर पाती है।

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