पिता से सीखा संगीत का ककहरा, डीयू से कर रही एमए (विश्व कला दिवस विशेष)

मिथिलेश कुमार झा, वीरपुर (सुपौल) : बसंतपुर प्रखंड क्षेत्र के छोटे से गांव लालमनपट्टी के उमेश चंद्र झा के घर से जब एक छोटी सी बच्ची गले से जब गाने के बोल निकलते थे तो आने-जाने वाले के कदम ठिठक जाते थे। संगीत की यह तान जो भी सुनते उन्हें विश्वास हो जाता कि एक ना एक दिन यह बच्ची इस गांव का नाम अपनी गायिकी से रोशन करेगी। लोगों का विश्वास सच हुआ और आज श्रुति मौसम का नाम गायिकी के क्षेत्र में किसी का मोहताज नहीं है। उसकी संगीत साधना का प्रतिफल अब देश की राजधानी दिल्ली तक जा पहुंचा है। संगीत शिक्षक पिता उमेश चंद्र झा के नेतृत्व में संगीत का ककहरा सीखने वाली श्रुति दिल्ली विश्वविद्यालय से संगीत से एमए कर रही है। इस क्षेत्र में मिले कई सम्मान उससे अधिक गांव वालों को गौरवान्वित करता है, गांव वालों को अपनी इस बेटी पर नाज है। -----------------------------------


कई बार हो चुकी है सम्मानित 2008 में युरेकाई की 18वीं दिल्ली शाखा की ओर से आयोजित कार्यक्रम में, साल 2007 में एसएसबी के द्वारा, 2007 में कला संस्कृति युवा विभाग व जिला प्रशासन सहरसा की ओर से 2010 व 11 में वीरपुर में आयोजित राष्ट्रीय पर्व समारोह में, 2010, 2012, 2013 व 2014 में गणतंत्र दिवस समारोह में सुपौल में आयोजित बाल कवि सम्मेलन में इन्हें सम्मानित किया गया।
--------------------------------------- दिल्ली में भी मनवाया अपना लोहा
श्रुति मौसम टीवी के कई लोकप्रिय प्रोग्राम में जलवा बिखेर चुकी है। 2006 में नेशनल टीवी पर सुबह-सबेरे कार्यक्रम में, 2010 में महुआ चैनल द्वारा आयोजित कार्यक्रम बिहान-बिहान में, 2014 में चिल्ड्रेन स्कूल के राज्य स्तरीय कार्यक्रम में लागा चुंदरी में दाग गाकर सुपौल का नाम रोशन किया। इसके अलावा इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में भी गाकर संगीत का लोहा मनवाया और टाप रही। बीए में बेहतर अंक लाने के लिए उनको दिल्ली में तेज सिंह सम्मान से नवाजा गया तो बीए पार्ट 02 में बेहतर करने के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी के आइपी कालेज ने बिरेंद्र सिंह मेमोरियल पुरस्कार से नवाजा। कला संस्कृति विभाग बिहार सरकार के मंत्री डा. आलोक रंजन द्वारा राज्य स्तर पर पुरस्कृत किया गया। श्रुति ने कई कैसेट भी निकाले हैं जो लोगों के द्वारा काफी पसंद भी किया जा रहा है।

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