आवास योजना: सूची में है नाम फिर भी नहीं मकान



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जागरण संवाददाता, सुपौल: ग्रामीण क्षेत्रों में गुजर बसर करने वाले गरीबों को भी अपना मकान हो इसके लिए सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना चला रखी है। परंतु जिले में 732 ऐसे अभ्यर्थी हैं जिनका नाम आवास सूची में रहने के बाद भी वासस्थल के लिए भूमि नहीं रहने के कारण इस योजना से वंचित रह जा रहे हैं । हालांकि सरकार ने ऐसे वासस्थल भूमिहीन लोगों के लिए भूमि क्रय की व्यवस्था कर रखी है। बावजूद इन अभ्यर्थियों को अभी तक भूमि उपलब्ध नहीं हो पाई है। परिणाम है कि ऐसे लाभुक सरकार के इस महत्वपूर्ण आवास योजना से वंचित रह जा रहे हैं। दरअसल सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वैसे लाभुक जिनके पास आवास बनाने के लिए भूमि नहीं है उन्हें भूमि उपलब्ध कराने के लिए दो तरह से सहायता करने की व्यवस्था कर रखी है। एक राजस्व विभाग के स्तर से दूसरा मुख्यमंत्री वास स्थल क्रय योजना से। परंतु यह दोनों योजना जिले में अब तक भूमिहीन लाभुकों को जमीन उपलब्ध कराने में सफल साबित नहीं हुई है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2016-17 से वित्तीय वर्ष 2020- 21 तक में जिले के 1000 ऐसे अभ्यर्थी थे जिन्हें स्वयं की वासभूमि नहीं थी। इनमें से 268 लाभुकों को इन दोनों योजनाओं से भूमि उपलब्ध कराई गई। परंतु शेष बचे 732 ऐसे लाभुक हैं जिन्हें अब तक भूमि उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है। जिससे जिले में ऐसे लाभुक भूमि के लिए सरकार से आस लगाए बैठे हैं।

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क्या है लाभ लेने का प्रावधान
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत भूमिहीन लाभुकों को आवास बनाने के लिए मुख्यमंत्री वास स्थल क्रय सहायता योजना के अंतर्गत साठ हजार की सहायता दी जाती है। यह सहायता राशि तभी संभव है जब संबंधित अंचल के अंचलाधिकारी द्वारा लाभुकों के पास भूमि नहीं होने का एनओसी देंगे। इस योजना का लाभ अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति तथा अति पिछड़ा वर्ग के लाभुकों को दिया जाता है। ---------------------------------------------
कहां फंसता है पेंच दरअसल एनओसी लेने में लाभुकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लाभुकों की मानें तो अंचलाधिकारी द्वारा एक तो एनओसी देने में आनाकानी की जाती है। यदि किसी तरह दे भी दी जाती है तो फिर भूमि क्रय के लिए सरकार द्वारा इतनी कम राशि दी जाती है जिससे वासभूमि क्रय कर पाना संभव नहीं होता है।उनका कहना है कि भूमि खरीद के लिए सरकार द्वारा जो राशि दी जाती है इससे भूमि खरीद पाना संभव नहीं हो पाता है। इधर राजस्व विभाग को जब ऊपर से दबाव दिया जाता है तो कुछ दिनों के लिए इस दिशा में सुगबुगाहट तो होती है फिर इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। इसी का परिणाम है कि पिछले पांच वित्तीय वर्ष में जिले के शत प्रतिशत भूमिहीन लाभुकों को आज तक बसने के लिए जमीन उपलब्ध नहीं करा पाई है।
----------------------------------------- प्रखंड वार भूमिहीन लाभुकों की संख्या
बसंतपुर ...98 राघोपुर ....170
प्रतापगंज ....53 निर्मली .....10
मरौना ......9 किशनपुर ...23
सरायगढ़ ......128 सुपौल.....128
पिपरा ......88 त्रिवेणीगंज ....22
छातापुर......3

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