शत-प्रतिशत जांच के बिना जन्म ले रहे कुपोषित बच्चे, जन्म-मृत्यु दर प्रभावित

संवाद सहयोगी, लखीसराय : जच्चा-बच्चा की पूर्ण सुरक्षा को लेकर सरकार ने शत-प्रतिशत गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व चार जांच कराने की व्यवस्था की है। इसके अलावा प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत प्रतिमाह की नौ एवं 21 तारीख को सदर अस्पताल सहित सभी पीएचसी में शिविर लगाकर गर्भधारण के द्वितीय एवं तृतीय त्रैमास में गर्भवती महिलाओं की जांच एवं अल्ट्रासाउंड कराकर गर्भस्थ शिशु की स्थिति की जानकारी लेने का विभागीय दावा है। बावजूद यहां कागजी काम अधिक होता है। स्वास्थ्य विभाग संबंधित क्षेत्र की एएनएम एवं आशा कार्यकर्ताओं की उदासीनता को जिम्मेदार मानता है। सच्चाई यह कि विभागीय उदासीनता चरम पर है। यही कारण है कि प्रसव पूर्व जांच का लक्ष्य प्राप्त करने में विभाग हांफ रहा है। उधर जांच के अभाव में कुपोषित एवं कमजोर शिशु का जन्म होता है, जिसकी जिदगी बचाना चुनौती होती है। वर्ष 2021-22 में जिले में 29,428 गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व चार जांच एवं प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत जांच करने का लक्ष्य निर्धारित था। इसमें से 24,385 गर्भवती महिलाओं का निबंधन एवं 21,634 गर्भवती महिलाओं का प्रसव पूर्व प्रथम एवं 20,805 गर्भवती महिलाओं का प्रसव पूर्व चतुर्थ जांच हुई है।


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कोट संबंधित क्षेत्र की एएनएम एवं आशा को घर-घर जाकर गर्भवती महिलाओं को चिह्नित कर निबंधन करने, टीका दिलाने के लिए सत्र स्थल पर ले जाने एवं प्रसव पूर्व जांच कराने के लिए अस्पताल लाने का निर्देश दिया गया है। परंतु कार्य में लापरवाही बरती जाती है। इस कारण लक्ष्य प्राप्त करने में परेशानी होती है। हालांकि गत वर्ष काफी सुधार हुआ है।
डा. डीके चौधरी, सिविल सर्जन, लखीसराय

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