बोचहां उपचुनाव परिणाम का होगा दूरगामी प्रभाव : राजद

जागरण संवाददाता, पूर्णिया : बोचहां उप चुनाव में राजद की जीत पर राजनीतिक एवं गैर राजनीतिक संगठनों ने प्रतिक्रिया दी है। राजद ने जहां इसे बिहार में नई राजनीति समीकरण का उदय बताया है तो स्वामी सहजानंद सरस्वती विचार ने इसे समाज के एक बड़े तबके का सुशासन से मोहभंग बताया है।

राजद के जिला प्रवक्ता आलोक राज ने बोचहां उपचुनाव में राजद की जीत पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि इस उपचुनाव के परिणाम से बिहार नई राजनीतिक समीकरण उदय हुआ है। कुछ दल ब्रह्माऋषि समाज को अपना बंधुआ वोटर समझते थे लेकिन उन्होंने यह दिखा दिया कि वे किसी की जागीर नहीं बल्कि जो उसे सम्मान और सही हिस्सेदारी देगा समाज उसीके साथ रहेगा।
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राजद और प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इस समाज को जो सम्मान दिया है, उसने भी आप अपना हाथ उनकी ओर बढ़ा दिया है। इस नई गठजोड़ का दूरगामी असर यहां की राजनीति पर पड़ेगा। राजद के युवा नेतृत्व ने पार्टी में सभी वर्ग एवं समाज के लोगों को समान भागीदारी दी है जिसका असर दिखने लगा है। बोचहा विधानसभा के उपचुनाव में राजद प्रत्याशी अमर पासवान को भारी मतों से जो विजय मिली है इससे साफ जाहिर होता है कि बिहार के सभी वर्ग एवं समाज का विश्वास दल को मिला है। कहा कि प्रतिपक्ष के नेता ने विधान परिषद के चुनाव में भी उक्त समाज को बड़ी भागीदारी दी थी। बोचहा में जीत पर पार्टी के जिला अध्यक्ष मिथिलेश दास, प्रवक्ता आलोक राज, प्रदेश महासचिव अरूण यादव ने अमर सहित वहां की जनता को कोटि-कोटि साधुवाद दिया है।
बोचहा उप चुनाव सुशासन का मुंहतोड़ जवाब : मंच
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स्वामी सहजानंद सरस्वती विचार मंच ने कहा कि बोचहां उपचुनाव का परिणाम 17 वर्षाें में सुशासन में हुए लोगों के शोषण का मुंहतोड़ जवाब है। कहा कि बिहार विधान परिषद के 24 सीटों पर स्थानीय निकाय का चुनाव हो या फिर 12 अप्रैल को मुजफ्फरपुर के बोचहा का उपचुनाव, समाज के एक बड़े तबके ने सत्ताधारी दल को आइना दिखाने का काम किया है। मंच के सचिव पंकज कुमार ने कहा है कि बिहार के विकास में जिस वर्ग का सराहनीय योगदान रहा, ये गठबंधन के दल उन्हे कैदी मानकर व्यवहार करते रहे हैं। इससे लोगों में घोर निराशा और हताशा का माहौल बन गया। सिटिग विधान पार्षद सच्चिदानंद राय का टिकट केवल इसलिए काटा गया क्योंकि वे एक खास जाति के मुखर वक्ता और कुशल नेतृत्वकर्ता थे ।लेकिन जनता ने उस निर्णय पर भी पानी फेर दिया। बिहार में खुलेआम कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई जा रही हैे। शिक्षा का माहौल मानो खत्म हो गया है,अस्पतालों में बदसलुकी बदस्तूर जारी है, दफ्तरों में कर्मियों की कमी व्याप्त है,लेकिन सदन के सत्र में ये सभी जीवंत और जनसरोकार के मुद्दे गौण रहते हैं। कहा कि अगर सरकार नहीं चेती तो आगे राजनीति में सुनामी आने वाली है।

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