खेत पहुंच रहे खरीदार, व्यापारियों के हाथ गेहूं बेच रहे हैं किसान

संसू,नवहट्टा (सहरसा): किसान अपनी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने पर काफी मुखर रहे लेकिन अभी गेहूं का समर्थन मूल्य घोषित करने के बावजूद किसान पैक्स के जरिए गेहूं नहीं बेच रहे हैं, क्योंकि उन्हें बाजार में ही अच्छा मूल्य मिल रहा है। किसानों का गेहूं खेत से सीधे राज्य के पटना, मुजफ्फरपुर, हाजीपुर, दरभंगा, कटिहार, पूर्णिया के अलावा उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल, पड़ोसी देश नेपाल के आटा मिलों में सीधे पहुंच रहा है जिससे किसानों को अपनी उपज का अच्छी खासी कीमत आन द स्पाट ही नगदी के रूप में मिल रही है।

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बकुनियां गांव के किसान नरेंद्र यादव बताते हैं कि खेत में ही किसानों गेहूं के फसल की कीमत तय होती है और खेत में लोड कर उसे गंतव्य तक पहुंचा दिया जाता है। फ्लावर मिलों के मालिकों द्वारा अपने अपने एजेंटों के माध्यम से सरकारी समर्थन मूल्य के आसपास की कीमत से दी जा रही है। जिसके कारण किसान सरकारी खरीद का इंतजार छोड़ गेहूं बेचने में व्यापारियों को तरजीह दे रहे हैं। शाहपुर के स्थानीय व्यवसायी नीरज गुप्ता ने बताया कि गेहूं का कुछ पहले दो हजार प्रति क्विटल का दर चल रहा था। लगातार उतार-चढ़ाव के बावजूद बीस सौ से 21 सौ के बीच चल रहा है। किसानों का कहना है कि पिछले साल गेहूं की फसल तैयार होने के बाद 13 से 14 सौ रुपये का भाव मिल रहा था। इस साल रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर गेहूं की आपूर्ति प्रभावित हुई है और इसका प्रत्यक्ष लाभ भारत के किसानों को मिला है।
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पैक्स में भुगतान के लगाना पड़ता है चक्कर
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गेहूं खरीद केंद्र पैक्स पर पर फसलों को बेचने के बाद उसके एवज में राशि प्राप्त करने में नाकों चने चबाने पड़ते हैं। व्यापारी किसानों को प्रति क्विटल करीब 21 सौ रुपये की कीमत दे रहे हैं, लेकिन सरकार द्वारा गेहूं की खरीद के लिए प्रति क्विटल 2015 रुपये की कीमत निर्धारित की गई है। स्थानीय व्यापारियों द्वारा खेतों में गेहूं की खरीदारी कर खेत में ही भुगतान कर दिया जाता है या एक दो दिनों के भीतर भुगतान मिल जाता है। सत्तौर गांव के किसान कैलाश यादव ने बताया शाहपुर प्रखंड के लगभग 80 प्रतिशत आच्छादन क्षेत्र में गेहूं की फसल की कटाई हो चुकी है। साथ ही व्यापारियों द्वारा इसकी खरीदारी कर खेतों से गेहूं उठाकर अलग-अलग राज्यों में भेज दिया गया।

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