जिले के आठ फीसद बच्चे अति कुपोषित, शुरू हुई नई कसरत

दीपक शरण, पूर्णिया। बच्चों का उम्र के हिसाब से पर्याप्त विकास नहीं होना कुपोषण की श्रेणी में आता है। जिला में गंभीर रूप से बीमार अति कुपोषित बच्चे चिता का सबब बन रहे हैं। इससे भी अधिक ऐसे अति कुपोषित बच्चे जिनका बिना अस्पताल में भर्ती किए सामुदायिक स्तर पर उपचार संभव है, वे भी धीरे -धीरे गंभीर बीमार की श्रेणी में आ रहे हैं। इन बच्चों के लिए जिलाधिकारी की पहल से नई कसरत शुरू हो गई है।

बता दें कि कुछ दिन पूर्व डीएम राहुल कुमार ने पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में आंकड़े के साथ इस स्थिति को प्रदर्शित किया था और जिले में इसको लेकर चल रही कसरत के बारे में विस्तार से चर्चा भी की थी। दरअसल जिले में आठ फीसद ऐसे बच्चे हैं, जो अति कुपोषित हैं। उनका समुचित उपचार होना आवश्यक है। जिलाधिकारी की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में पांच वर्ष आयुवर्ग में सेम बच्चों की संख्या 8.8 फीसद (15 लाख) के करीब है। पूर्णिया में यह आंकड़ा आठ फीसद (48 हजार) है। इस 48 हजार को कुपोषण से बाहर निकलना जिला प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती है। इनमें पांच हजार को कुपोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती करना आवश्यक है। 43 हजार का सामुदायिक स्तर पर उपचार संभव है।

संव‌र्द्धन कार्यक्रम को जिले में लागू करने की है कवायद -:
जिले में यूनिसेफ के सहयोग के केनगर में सी सैम कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। अति कुपोषित बच्चों का सामुदायिक प्रबंधन माडल को अब जिले में लागू करने की योजना है। पांच वर्ष के बच्चे जिनका वजन और लंबाई बेहद कम है, उसकी पहचान गंभीर अति कुपोषित (सेम) बच्चे के रूप में होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार करीब 11 फीसद सेम बच्चे चिकित्सकीय जटिलताओं के भी शिकार हो जाते हैं। जिले में ऐसे गंभीर रूप से बीमार अति कुपोषित बच्चों की संख्या पांच हजार है। जिले के राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय में पोषण पुनर्वास केंद्र की सुविधा मौजूद है।
ऐसे कुपोषित बच्चे जो अन्य बीमारी के शिकार हो चुके हैं, उनको केंद्र में भर्ती कर उपचार किया जाता है। अगर ऐसे बच्चे को समुचित उपचार नहीं मिलेगा इनकी मृत्यु तक हो सकती है। इसका सीधा असर देश के आर्थिक विकास पर पड़ता है। डीएम राहुल कुमार ने बताया कि सी सेम का पूर्णिया में संव‌र्द्धन नाम से जाना जाता है। सेम मतलब बच्चे और व‌र्द्धन का अर्थ अपग्रेडेशन है।
जिले के तीन हजार आंगनबाड़ी केंद्रों में किया जाएगा लागू -:
संव‌र्द्धन कार्यक्रम को सबसे पहले 2019 में जिले के केनगर प्रखंड में 98 आंगनबाड़ी केंद्रों से प्रारंभ किया गया था। 2021 में तीन प्रखंड में और 276 आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्यक्रम का विस्तार किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य अति गंभीर कुपोषित बच्चों की व्यापकता को समुदाय स्तर पर उपाय कर कम करना है। उसका फालोअप कर मौत में कमी लाना है। कुपोषण को कम करना है। बच्चे के पोषण को लेकर समुदाय स्तर पर सजगता को बढ़ावा दिया जा रहा है। अब इसी योजना को जिले के सभी प्रखंड के तीन हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रो में लागू करने की कवायद चल रही है। बड़ी संख्या में ऐसे बच्चे जो किसी बीमारी के शिकार नहीं हुए हैं जिसकी संख्या 43 हजार है। उनको समुदाय स्तर पर इस तरह की पहल से कुपोषण से बाहर निकाला जा सकता है। इससे पांच वर्ष कम उम्र में होने वाली मौतों को भी कम किया जा सकता है।

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