गेहूं खरीद का लक्ष्य हासिल करने में विभाग का फूलेगा दम

जागरण संवाददाता, सुपौल। सरकार द्वारा पैक्सों के माध्यम से गेहूं खरीदारी का अभियान सात दिन बाद भी ठंडा पड़ा हुआ है। जिले में मात्र एक पैक्स ने महज 23 क्विटल गेहूं की खरीदारी की है। शेष पैक्स और व्यापार मंडल वीरान पड़े हैं। पड़ताल में पाया गया कि सरकार द्वारा निर्धारित गेहूं का एमएसपी की तुलना में बाजार मूल्य ऊपर है। ऊपर से न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 प्राप्त करने के लिए अनाज बेचने को बोरा और क्रय केंद्र तक ले जाने समेत आपूर्ति में खर्च भी किसानों को करना पड़ता है। जबकि गांव में ही 2000 से 2100 के बीच गेहूं बिक रहा है। यदि यही स्थिति अभी कुछ दिनों तक रही तो कई पैक्स गेहूं खरीदारी से वंचित रह जाएंगे। हालांकि रबी की बुवाई के समय उर्वरकों की कमी के बावजूद इस साल गेहूं का उत्पादन बढ़ा है। किसानों की मानें तो कई साल के बाद यह पहला अवसर देखने को मिल रहा है जब सरकारी स्तर पर निर्धारित दर से बाजार मूल्य अधिक है । स्थिति है कि गेहूं उनके खेत खलिहान से बिक जा रहा है।


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22 किसानों ने कराया है निबंधन
जिले के 116 पैक्स व व्यापार मंडल को गेहूं की खरीदारी के लिए अनुमति दी गई है। लेकिन अब तक मात्र एक पैक्स को छोड़कर किसी पैक्स ने बोहनी तक नहीं की है। जिन एक पैक्स ने खरीद की बोहनी की है वह है बकौर पैक्स। इन्होंने भी सिर्फ एक किसान से 23 क्विटल गेहूं की खरीदारी की है। सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के किसानों की उदासीनता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अब तक महज 22 किसानों ने उपज बेचने के लिए अपना निबंधन कराया है।
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26सौ एमटी गेहूं खरीदारी का मिला है लक्ष्य
सरकार द्वारा समर्थित न्यूनतम मूल्य पर सरकार ने जिले को 26 सौ एमटी गेहूं खरीद करने का लक्ष्य दिया है। इसके लिए सहकारिता विभाग ने 116 समितियों को गेहूं खरीद की अनुमति दी है। परंतु किसान समिति के हाथों गेहूं बेचना नहीं चाहते हैं। अगर स्थिति ऐसी ही रही तो फिर जिले को लक्ष्य को प्राप्त करना मुश्किल हो जाएगा। इस संबंध में जिला सहकारिता पदाधिकारी का कहना है कि किसानों को उनके उपज का उचित मूल्य मिले विभाग की प्राथमिकता में है। लक्ष्य का प्राप्त होना या नहीं होना दूसरी बात है।

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