मई तक 25 हजार लीटर होगा नीरा का उत्पादन

जागरण संवाददाता, शेखपुरा:

ताड़ी के बदले नीरा बनाने और उसे बेचने का सरकारी आइडिया जिले में रफ्तार पकड़ रहा है। इससे नीरा बनाने और बेचने से जुड़े लोगों में खुशहली भी आ रही है। नीरा के उत्पादन और इसकी बिक्री की योजना जीविका के माध्यम से लागू किया जा रहा है। पिछले पखवाड़े शुरू हुआ यह काम जिले में 10 हजार लीटर का आंकड़ा पार कर चुका है। मई महीने तक नीरा उत्पादन के इस आंकड़े को 25 हजार लीटर तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। इस काम से अभी तक 78 ताड़ छेबकों को जोड़ा गया है। जीविका के डीपीएम संतोष कुमार सोनू ने बताया कि जिले में नीरा के प्रति लोगों की रुचि भी बढ़ रही है। अभी प्रतिदिन औसतन सात से साढ़े सात सौ लीटर नीरा की बिक्री हो रही है। नीरा बिक्री के लिए जिले में अभी छह स्थायी स्टॉल चलाये जा रहे हैं, मांग बढ़ने पर स्टॉल भी बढ़ाए जाएंगे। जिले में 15 हजार हैं ताड़ का पेड़ जिले में 15 हजार से अधिक ताड़ के पेड़ हैं, जिसमें 12 हजार से अधिक ताड़ी निकालने का काम होता है। सरकार में मध निषेध कानून के तहत ताड़ी को प्रतिबंधित किया है। ताड़ी के बदले उससे नीरा बेचने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसकी जिम्मेवारी जीविका को दिया गया है। जीविका के डीपीएम बताते हैं काऊ सीजन में नीरा के उत्पादन के लिए जिले के 78 ताड़ छेबकों को योजना से जोड़ा गया है। इन्हें जीविका से जोड़कर नीरा बनाने के लिए प्रशिक्षण भी दिया गया है। इस योजना से और भी ताड़ छेबकों को जोड़ने का प्रयास हो रहा है। प्रतिदिन सात सौ लीटर उत्पादन-

जिले में अभी प्रतिदिन लगभग सात सौ लीटर नीरा का उत्पादन हो रहा है। एक पखवाड़ा पहले शुरू हुए इस काम में बुधवार तक 10200 लीटर नीरा उत्पादित हो चुका है। इसमें से 9700 लीटर की बिक्री भी हो चुकी है। लोग चाव से नीरा का उपयोग शीतल पेय के रूप में कर रहे हैं। नीरा बेचने के लिए अभी जिले के सभी प्रखंडों में एक-एक स्टॉल लगाए गये है। मांग बढ़ने पर स्टॉलों की संख्या बढ़ाई जाएगी। नीरा का उत्पादन भी अगले महीने तक बढ़ाकर 25 हजार लीटर करने की योजना है। 10 और 15 रुपये प्रति ग्लास की दर से नीरा की बिक्री हो रही है।
रात के अंधेरे में मनरेगा का जेसीबी से काम, दिन के उजाले में मजदूर से छुपा दिए निशान
जागरण संवाददाता, शेखपुरा:
शेखपुरा जिले के घाटकुसुंभा प्रखंड अंतर्गत गगौर पंचायत के कोरमा गांव में बुधवार की आधी रात को मनरेगा का काम जेसीबी से किया गया। मिट्टी खुदाई का काम जेसीबी से किए जाने का वीडियो आधी रात को ही गांव के युवाओं के द्वारा इंटरनेट मीडिया पर वायरल कर दिया गया । दिन के उजाले में दो-तीन मजदूर लगाकर जेसीबी से काम किए जाने के निशान को मिटा दिया गया। ---
मिलीभगत से जेसीबी से होता है काम इसको लेकर ग्रामीण युवक प्रदुमन कुमार ने बताया कि स्थानीय प्रोग्राम पदाधिकारी, कनीय अभियंता, मुखिया और लोकल ठीकेदार के सांठगांठ से मजदूरों की जगह जेसीबी से काम कराया गया। रात्रि में स्थानीय सभी अधिकारियों से लेकर जिले के अधिकारियों को इसकी सूचना दी गई परंतु किसी ने इस पर संज्ञान नहीं लिया। रात में ही जेसीबी से काम किए जाने का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ। --
डीडीसी ने दिए जांच के आदेश इस पूरे मामले में इंटरनेट मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद डीडीसी सत्येंद्र कुमार के द्वारा पूरे मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। हालांकि जांच का निर्देश प्रखंड के प्रोग्राम पदाधिकारी को ही दिया गया। जबकि ग्रामीण के द्वारा इस पूरे प्रकरण में पहले से ही प्रखंड के प्रोग्राम पदाधिकारी को जानकारी होने का आरोप लगाया गया।

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