आंधी व ओलावृष्टि भी हर वर्ष तोड़ जाती है किसानों की कमर

संस, सहरसा: बाढ़ प्रभावित इलाका होने के कारण कोसी क्षेत्र में हर वर्ष हजारों एकड़ में खरीफ की बर्बादी तो होती ही है। आंधी, ओलावृष्टि और असमय बारिश के कारण हर वर्ष इस इलाके में रबी की फसल भी किसानों की कमर तोड़ जाती है। गेहूं के बाद भदई मकई, मूंग, सब्जी के साथ आम व लीची जैसे फलों का भी काफी नुकसान होता है। गत वर्ष भी इस इलाके में यास तूफान ने हजारों हेक्टेयर में मूंग की तैयार फसल और मक्का को बर्बाद कर दिया। इस नकदी फसल के खराब होने से किसान उबड़ नहीं पाए, तबतक पहले अतिवृष्टि और बाद में बाढ़ ने सिर्फ सहरसा जिले में 43 हजार हेक्टेयर धान को समाप्त कर दिया। जिससे खासकर छोटे और मझोले किसानों के समक्ष भुखमरी की नौबत उत्पन्न हो गई। इसके लिए करोड़ों रुपये इनपुट अनुदान का भी वितरण हुआ, परंतु अनुदान का बड़ा हिस्सा उन किसानों को ही गया, जिन्हें हजारो क्विटल धान बेचने का भी अवसर मिला। अर्थात वास्तविक जरूरतमंद प्रकृति की मार और शासन- प्रशासन की मनमानी दोनों के शिकार हो गए।


इस वर्ष विगत एक सप्ताह के अंदर दो बार तूफान, ओलावृष्टि और असमय बारिश हुई। इससे मूंग- मक्का की फसल लगभग समाप्त हो गयी। पहले तो इस क्षति को स्थानीय कृषि विभाग द्वारा नजर अंदाज किया गया, परंतु सरकार स्तर से निर्देश मिलने के बाद चार मई तक क्षति का आकलन कर रिपोर्ट मांगा गया। किसान, सलाहकारों, कृषि समन्वयकों व अन्य कर्मियों द्वारा इसकी तैयारी चल रही है, इसी बीच सोमवार की रात आंधी ने रही- सही कर पूरा कर दिया। अनुमान है कि सहरसा जिले में लगभग 20 हजार हेक्टेयर से अधिक में लगी फसल तो बर्बाद हो गई। आम- लीची भी लगभग समाप्त हो गयी है।
-----------------------
फसलों की क्षति का आकलन कर सभी प्रखंडों से रिपोर्ट मांगा गया है। रिपोर्ट प्राप्त होते ही जिलास्तर से समेकित प्रतिवेदन सरकार को भेजा जाएगा। प्राप्त आदेश के आलोक में अगली कार्रवाई की जाएगी।
ज्ञानचंद्र शर्मा
जिला कृषि पदाधिकारी, सहरसा।

अन्य समाचार