नामांकन पत्र में साक्ष्य छुपाना महंगा पड़ सकता है पंसस को

जागरण संवाददाता, सुपौल। गत पंचायत चुनाव में निर्वाचित एक पंचायत समिति सदस्य को साक्ष्य छुपाना महंगा पड़ सकता है। शिकायत के बाबत बीडीओ ने आरोप को सही करार करते हुए उक्त पंचायत समिति सदस्य के विरुद्ध पंचायती राज अधिनियम 2006 के तहत कार्यवाही को लिखा है। मामला पिपरा प्रखंड स्थित दुबियाही पंचायत का है। जिसमें उक्त पंचायत के राजेंद्र साहू ने नाम निर्देशन पत्र में साक्ष्य को छुपा कर पंचायत समिति सदस्य भाग संख्या 20 से न सिर्फ चुनाव लड़ा बल्कि जीत भी हासिल की। लेकिन इनके द्वारा नामांकन पत्रों में छुपाए गए साक्ष्य अब उनके लिए परेशानी बनती दिख रही है। दरअसल मामले को लेकर पंचायत के ही मोहम्मद नूर इस्लाम ने जिलाधिकारी समेत जिला पंचायती राज पदाधिकारी से शिकायत की थी। जिसमें उनके द्वारा कहा गया था कि भाग संख्या 20 से निर्वाचित पंसस राजेंद्र साहु ने अपने नाम निर्देशन पत्र में साक्ष्य को छुपा लिया है ।अपने उपर दर्ज कई मुकदमों का जिक्र इन्होंने नहीं किया है। शिकायत के बाबत पिपरा बीडीओ लवली कुमारी को जांच का जिम्मा सौंपा गया। बीडीओ द्वारा समर्पित जांच प्रतिवेदन में कहा गया है कि जांच के दौरान जब पंसस राजेंद्र साहू को उनके विरुद्ध दायर द्वारा वाद संख्या 180/ 2010 के बारे में पूछा गया तो उनके द्वारा बताया गया कि उक्त वाद में अनुसंधान उपरांत पुलिस ने उसे निर्दोष घोषित कर दिया है। तथा वाद संख्या 652 सी/ 2007 के संबंध में उन्होंने बताया कि यह वाद 15 वर्ष पुराना है। जिसे मैंने उचित पैरवी हेतु अपने अधिवक्ता को सुपुर्द कर दिया था । कितु बहुत पुराना वाद होने के कारण मैं अपने नामांकन पत्र में उसे दर्ज नहीं कर सका। जांच उपरांत प्रखंड विकास पदाधिकारी ने कहा है कि पंसस द्वारा तथ्य छुपाने की स्वीकारोक्ति से स्पष्ट होता है कि इनके द्वारा नामनिर्देशन शपथ पत्र में साक्ष्य छुपाए जाने की बात सत्य है। बीडीओ ने इस पूरे मामले में पंसस द्वारा समर्पित जवाब एवं शिकायकर्ता मु. नूर इस्लाम द्वारा समर्पित साक्ष्य के प्रति संलग्न करते हुए बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 अंतर्गत कार्यवाही को कहा है।


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