चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति मामले में प्रमंडलीय आयुक्त ने लिया संज्ञान



जागरण संवाददाता, पूर्णिया: प्रमंडलीय आयुक्त गोरखनाथ ने पदभार संभालते ही स्वास्थ्य विभाग में प्रतिनियुक्ति के खेल पर संज्ञान लिया है। विदित हो कि दैनिक जागरण के चार मई के अंक में इस खेल का खुलासा करते हुए खबर प्रकाशित किया गया था। प्रमंडलीय आयुक्त ने सिविल सर्जन को किसी तरह की प्रतिनियुक्त नहीं करने का निर्देश दिया है। पदभार संभालते ही उन्होंने बताया कि चिकित्सक की पदस्थापना जिस स्थान के लिए की गई है उसको वहीं रखा जाना चाहिए। प्रतिनियुक्ति के लिए विभागीय निर्देश की आवश्यकता है। प्रमंडलीय आयुक्त ने बताया कि इस तरह की प्रतिनियुक्ति गलत है और अधिकार क्षेत्र से बाहर है। गौरतलब है कि जिले में कई प्रखंड अस्पतालों में चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति किया गया है। प्रतिनियुक्त चिकित्सक को प्रभारी तक बनाया जाता है। यहां तक कि वरिष्ठ चिकित्सक के रहते हुए प्रतिनियुक्त कर प्रभारी बनाया जा रहा है। इस कारण से बड़ी संख्या में चिकित्सकों के बीच भी असंतोष का मामला सामने आ चुका है। एक अन्य मामले में सिविल सर्जन ने राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में ट्रोमा सेंटर में विशेष तौर पर प्रतिनियुक्त चिकित्सक जिसको अपर सचिव के निर्देश पर सदर अस्पताल से जीएमसीएच में समाहित किया गया था उसको रद्द करने का फैसला लिया गया। इस मामले में अपर सचिव और पूर्व के प्रमंडलीय आयुक्त के निर्देश को सिविल सर्जन ने दरकिनार कर दिया। प्रतिनियुक्ति रद्द करने के तुरंत बाद महज कुछ घंटे में ही जीएमसीएच अधीक्षक ने विरमित भी कर दिया। 32 चिकित्सक समेत सभी सदर अस्पताल के सभी संसाधन को अपर सचिव के निर्देश पर जीएमसीएच में समाहित किया गया था। इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए अब प्रमंडलीय आयुक्त ने सभी प्रतिनियुक्त रद्द करने का निर्देश दिया है। अगर किसी विशेष परिस्थिति में करनी पड़े तो उसके लिए विभागीय निर्देश लेनी आवश्यक है। कोट के लिए -

चिकित्सकों के मूल स्थान पर रखा जाना चाहिए। विभागीय निर्देश के विपरीत किसी की प्रतिनियुक्ति उचित नहीं है और यह अधिकार क्षेत्र के बाहर है। अगर किसी तरह की प्रतिनियुक्ति हुई है तो तुरंत रद किया जाना चाहिए। विभागीय स्तर पर जिसकी प्रतिनियुक्ति हुई है उस पर निर्णय लेना सीएस के अधिकार क्षेत्र के बाहर है। गोरखनाथ, प्रमंडलीय आयुक्त, पूर्णिया

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