जिले के 345 गांवों का भूमि अभिलेख नहीं हुआ है अपलोड

संस, सहरसा : डिजिटल भारत योजना के तहत सालभर में जिले के सभी गांवों के भू-अभिलेख का कंप्यूटरीकरण किया जाना था, परंतु अबतक 472 गांवों में से 345 गांवों के अभिलेख का सत्यापन कार्य शेष बचा है। अबतक महज 122 गांवों का द्वितीय जांच हुआ। 259 गांवों का अंतिम प्रकाशन किया गया। बताते हैं कि कंप्यूटरीकरण में देरी के कारण जिले में भूमि विवाद बढ़ता जा रहा है।

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भूस्वामियों को दिया जाना है जमीन का पासबुक
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इस योजना के तहद सभी भूस्वामियों के नाम अभिलेखागार में उपलब्ध कागजात को कंप्यूटरीकृत कर उनके वंशजों को भूखंडों के बंटवारे के अनुसार जमीन का पासबुक उपलब्ध कराना है। अगर पूर्वजों के नाम पर ही भू- खंड पंजीकृत है, तो वंशवृक्ष प्रस्तुत कर लाभुक अपने नाम पासबुक के लिए दावा प्रस्तुत कर सकते हैं। इसके आधार पर जांचोपरांत जमीन का पासबुक उपलब्ध होगा। उसके सत्यापन के लिए किसी भी समय कंप्यूटरीकृत दस्तावेज उपलब्ध हो सकेगा। यह प्रक्रिया भूमि विवाद को सुलझाने में काफी सहायक सिद्ध हो सकता है, परंतु इस कार्य में अकारण ही विलंब किया जा रहा है।

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अभिलेखागार के दस्तावेज पर भी मंडरा रहा है खतरा
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समाहरणालय में गत सर्वे द्वारा समर्पित अभिलेख उपलब्ध है। यहां रखा कागजात लगभग बेकार हो गया है। कागजात फटे रहे, निजी मुंशियों द्वारा छेड़छाड़ करने की वजह से यहां से भी लोगों को निराश होकर लौटना पड़ता है। कैथी भाषा के अनुवादक नहीं रहने से भी परेशानी होती है। इससे न्यायालय में चल रहे दफा 106, 108 और बीटी एक्ट के हजारों मामले का निष्पादन नहीं हो पा रहा है। हालांकि वर्तमान जिलाधिकारी ने ई- आफिस के तहद अभिलेखागार को भी शीघ्र आनलाइन करने का निर्देश दिया है। इससे इस समस्या का बहुत हद तक समाधान हो जाएगा।
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कोरोना संक्रमण और चुनावी कार्यों के कारण भू अभिलेख के कम्प्यूटरीकरण कार्य में विलंब हुआ। अब इस कार्य में तेजी आएगी। उम्मीद है शीघ्र ही आधुनिकीकरण कार्य संपन्न होगा।
विनय कुमार मंडल
अपर समाहर्ता, सहरसा।

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