खरीफ और रबी के फेर में घट रहा है जायद का रकबा

संवाद सूत्र, सोनो (जमुई): रबी व खरीफ फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के फेर में गरमा (जायद) फसलों का रकबा घटने लगा है। कुछ वर्ष पहले करीब एक चौथाई कृषि भूमि पर गरमा फसलें बोई जाती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है।

आंकड़ों के मुताबिक प्रखंड की 2300 हेक्टेयर भूमि पर रबी और 9500 हेक्टेयर भूमि पर खरीफ की फसलें बोई जाती है। इन फसलों को बढ़ावा देने में गरमा फसलों की किसान अनदेखी करने लगे। कृषि विभाग की मानें तो प्रखंड में कुछ वर्ष पूर्व तक दो हजार हेक्टेयर में गरमा मक्का, मूंग, उरद, मूंगफली व सब्जियों का उत्पादन किया जाता था। महंगाई और आवारा पशुओं के कारण क्षेत्र के किसान इन फसलों की खेती से विमुख होते जा रहे हैं। लिहाजा यह आंकड़ा आधे से भी कम हो गया। छुट्टा घूम रहे पशुओं के साथ ही नीलगाय का आतंक भी प्रखंड में इन दिनों बढ़ गया है। इसके साथ ही सिचाई की कमी व संसाधनों के अभाव में किसानों ने भी आसान खेती करना ही सुलभ माना है। किसान बमभोला, कृष्णा राय, महेंद्र रजक, बबलू कुमार, उपेंद्र सिंह ने बताया कि जायद फसलों के उत्पादन में लागत अधिक में पड़ रहा है। साथ ही लागत के अनुसार मुनाफा भी नहीं होता है। इसके साथ ही आवारा पशुओं खासकर नीलगाय से फसलों की सुरक्षा करने के लिए रतजगा करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में खेती करने से कोई फायदा नहीं है। दूसरी ओर सरकारी तौर पर ना तो किसानों को इस खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है और न ही इसके लिए कोई सुविधाएं दी जा रही है। किसानों की आय दोगुनी करने में जुटी सरकार की मंशा पर विभागीय सुस्ती भारी पड़ रही है। यदि जिम्मेदार तंत्र किसानों को जायद फसलों की खेती के लिए प्रेरित करें तो ना तो केवल दलहनी फसलों का उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि किसानों की माली हालत भी सुधरेगी।

अन्य समाचार