रसोई गैस हुआ महंगा, कैसे पकेगा भोजन

अभियान की खबर

-------------
फोटो- 08 जमुई- 4,5,6,7,8,9
---
- महंगाई ने बिगाड़ा खेल, घरों में अब उज्ज्वला योजना का चूल्हा हो रहा फेल
- थोक में बांटे गए उज्वला योजना के गैस कनेक्शन का रिफिलिग का पड़ा है संकट
- रसोई गैस के बढ़े दाम से गृहणी भी परेशान
संवाद सहयोगी, जमुई : एक ओर जहां लोग सही तरीके से अभी तक कोरोना की मार से उबर नहीं पाए हैं। वैसे में दूसरी ओर रसोई गैस की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि ने रसोई घर का बजट बिगाड़ कर रख दिया है। रसोई का बजट दोगुना हो गया है। अब रसोई गैस के मूल्य में बढ़ोतरी करके मुश्किल बढ़ाने का काम किया गया है।
रसोई गैस सिलेंडर के दाम में लगातार हो रही बढ़ोतरी से गरीब तबके के लोग उज्वला योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। जनवरी 2022 में 998 रुपये बिकने वाला रसोई गैस के दामों में 22 मार्च को 50 का मूल्य वृद्धि के साथ 1048 में बिक रहा था। अब रसोई गैस सिलेंडर के दामों में एकाएक 50 रुपये का फिर से इजाफा कर दिया गया। दाम बढ़ने का सीधा असर रसोई के बजट पर पड़ा है। जिससे 14.2 किलोग्राम का रसोई गैस सिलिडर 1048 रुपये से बढ़कर 1098 रुपये हो गया है।
पिछले आठ महीनों में तीन बार रसोई गैस सिलेंडर के दाम में 115 रुपए की बढ़ोतरी हुई है। इससे परेशान होकर लाभार्थी फिर से लकड़ी व उपले से चूल्हा फूंकने को मजबूर हो गए हैं। वर्तमान में जमुई जिले में गैस सिलेंडर के दाम 1098 रुपये तक पहुंच गया है। रसोई गैस की जगह गरीब तबके को पुन: चूल्हे पर खाना बनाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, क्योंकि बढ़ती महंगाई के चलते के लिए हजार रुपए खर्च करना भी मुश्किल हो रहा है। शुरूआत में लोगों ने गैस सिलेंडर का रिफलिग भी कराया, लेकिन बीते छह महीनों में जिस तेजी से रसोई गैस के दाम बढ़े हैं,उससे लोगों के लिए सिलेंडर दोबारा से रिफलिग करना मुश्किल हो रहा है। लगातार गैस सिलेंडर की बढ़ती कीमतों के कारण गरीब परिवार की महिलाओं ने उज्वला में मिले गैस सिलेंडर के हाथ जोड़ लिए हैं। इसकी जगह थोड़ी सी मेहनत पर जंगलों से मुफ्त मिलने वाली लकड़ी के जरिए चूल्हों पर घर-घर खाना बनने लगा है। एक ओर जहां घरेलू एलपीजी की कीमत में बढ़ोतरी हो रही है तो 19 किलो वाले कामर्शियल एलपीजी गैस सिलेंडर के दाम में भी तेजी जारी है। बीते एक मई को इसमें भी 104 रुपये प्रति सिलेंडर का इजाफा कर दिया गया है।
---------
योजना का मकसद हुआ फेल
एक मई 2017 को प्रधानमंत्री उज्वला योजना की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि वे गरीबी की रेखा से नीचे रह रही महिलाओं को चूल्हे के धुएं से होने वाली बीमारी से बचाने के लिए योजना की शुरुआत किया गया है। चूल्हे पर खाना बनाने से महिलाओं की आंखों पर तो असर पड़ता ही है। साथ ही दमा समेत अन्य बीमारियां भी हो जाती है। लेकिन सरकार द्वारा रसोई गैस के दामों में निरंतर इजाफे से सरकार का मकसद पूरा नहीं हो पा रहा है।
----
कहती है महिलाएं
उज्वला योजना में गैस कनेक्शन मुफ्त मिला था, तब लगा था कि अब धुएं से छुटकारा मिल गया है। लेकिन कुछ दिनों में ही हमारा यह सपना हवा हवाई हो गया। हम गरीब लोग इतना रुपया सिलेंडर पर खर्च नहीं कर सकते हैं।
चांदो देवी, उज्वला योजना लाभार्थी
-----
चूल्हे पर लकड़ी से खाना बनाना मुफ्त है। सिलेंडर को घर के एक कोने में रख दिया है। गैस सिलेंडर का दाम 1098 रुपये तक पहुंच गया है। ऐसे में सिलेंडर भरवाना बूते से बाहर हो गया है। हम लोग मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का पेट भरते हैं।
सौदी देवी
------
खाद्य सामग्री पर लगातार बढ़ रही महंगाई ने तो आम आदमी का जीना तो पहले ही मुहाल कर दिया था। लेकिन अब रसोई गैस सिलेंडर के दामों में एकाएक 50 रुपये का इजाफा कर दिया गया है। जिससे हमारे रसोई घर का बजट पूरी तरह से फेल हो गया है।
माधुरी दुबे, गृहणी
----
रसोई गैस की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि से ऐसा लग रहा है कि अब हमलोगों को लकड़ी के चूल्हे पर ही खाना बनाने का आदत स्थाई रूप से डाल लेना होगा। गैस सिलेंडर के दाम में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और यह हमारे जैसे सामान्य परिवार के लोगों के पहुंच से बाहर होता जा रहा है।
कंचन सिंह, गृहणी
----
आठ माह में अभी तक तीन बार रसोई गैस की कीमत में 115 रुपया की वृद्धि हुई है। सरकार को अपना खजाना भरने से मतलब है। उसे आम लोगों की परेशानी या जेब पर पड़ने वाले बोझ से कोई लेना देना नहीं है।
संजू देवी, गृहणी
------
रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि के कारण नियमित रूप से लकड़ी या गोइठा से ही चूल्हा पर खाना बनाते हैं। कभी कभार बहुत अधिक जरूरत पड़ने पर ही खाना बनाने या नाश्ता बनाने के लिए गैस चूल्हा का उपयोग करते हैं।
रंजू देवी, गृहणी
----
बिक्री पर पड़ा है असर
लव कुश गैस एजेंसी के प्रोपराइटर मनोज कुमार सिंह ने कहा कि मार्च के पहले सप्ताह में गैस की औसतन बिक्री फरवरी की अपेक्षा 30 फीसद ज्यादा रही, लेकिन दाम बढ़ने के बाद एलपीजी सिलेंडर का उठाव काफी कम हो गया है। मई के पहले सप्ताह से सामान्य एलपीजी सिलेंडर का 25 फीसद तक और उज्वला कनेक्शन में तो 50 फीसद तक उठाव कम हो गया है।

अन्य समाचार