कुपोषण से मुक्ति के लिए अड़तालीस हजार में 43 हजार का सामुदायिक स्तर निगरानी

जासं, पूर्णिया। जिले में बड़ी संख्या में कुपोषण के शिकार बच्चे हैं जो बिना किसी अस्पताल में भर्ती कराए सामुदायिक प्रयास से कुपोषण मुक्त किया जा सकता है। आईसीडीएस के जारी आंकड़े में इस बात का पता चला है। जारी आंकड़े के अनुसार जिले में 48 हजार अति कुपोषित बच्चों में 43 हजार का सामुदायिक स्तर निगरानी की आवश्यकता है। ऐसे बच्चे जो अति कुपोषण के साथ किसी अन्य जटिलताओं से ग्रस्त नहीं हैं उनका सामुदायिक स्तर पर निगरानी करनी होगी। इसके लिए जिला स्वास्थ्य विभाग और युनिसेफ के साथ मिलकर संव‌र्द्धन कार्यक्रम का संचालन कर रही है। पहले यह केवल एक प्रखंड में संचालित हो रहा था जो अब सभी प्रखंडों के तीन हजार आंगनबाड़ी केंद्रों में लागू किया जा रहा है। इसके अंतर्गत वैसे बच्चे जो कुपोषण के शिकार है लेकिन किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त नहीं हुए हैं। बच्चों को समुचित पोषक आहार और दवा से घर पर नियमित निगरानी कर कुपोषण से बाहर लाया जा सकता है। ऐसे बच्चे जिनका उम्र के अनुसार पर्याप्त विकास नहीं हुआ है वह कुपोषित माना जाता है। उसका मानसिक और शारीरिक विकास भी उम्र के अनुसार नहीं होता है। वजन भी कम होता है। ऐसे बच्चे जबतक गंभीर रोग से ग्रसित नहीं हुए हैं तब तक उसका समुदाय स्तर पर निगरानी कर कुपोषण से बाहर लाया जाएगा। पांच वर्ष के 48 हजार के करीब बच्चे अति कुपोषित हैं। जिले में आठ फीसद बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। इसमें पांच हजार अति कुपोषित गंभीर रोग से ग्रस्त बच्चे हैं जिनका भर्ती कर उपचार करना आवश्यक है। केनगर में पायलट परियोजना के अंतर्गत सी सैम कार्यक्रम का संचालन किया गया है। जिसके परिणाम बेहतर मिलने पर सभी प्रखंड में लागू किया जा रहा है। अति कुपोषित बच्चों का सामुदायिक प्रबंधन माडल को अब जिले में लागू किया जाएगा। सेम बच्चे जल्द ही अन्य जटिलताओं के शिकार हो जाते हैं। जिले में ऐसे बच्चे की संख्या पांच हजार है। जिले में तीन हजार आंगनबाड़ी केंद्रों में इस योजना को किया जाएगा जा रहा है। सबसे पहले इस कार्यक्रम को 2019 में जिले के केनगर प्रखंड के 98 आंगनबाड़ी केंद्रों में लागू किया गया था। 2021 में तीन प्रखंड में 276 आंगनबाड़ी केंद्रों में कार्यक्रम का विस्तार किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य फोलोअप और सामुदायिक स्तर पर जागरुकता से मौत में कमी लाना और कुपोषण से बच्चों को बाहर करना है। समुदाय स्तर पर सजगता को बढ़ावा देना है। जिले के 43 हजार अति कुपोषित बच्चों का समुदाय स्तर पर पहल से कुपोषण से बाहर निकलने की कवायद चल रही रही है।


-------------------------------------------------------

अन्य समाचार