आन द स्पाट : कहीं विद्यालयों में कम रहती बच्चों की उपस्थिति तो कहीं नहीं लगती कक्षा

-प्रखंड के अधिकांश विद्यालयों में शुक्रवार को नहीं दिए जाते अंडा या फल

संवाद सूत्र, सरायगढ़ (सुपौल) : शिक्षा विभाग के अधिकारियों के बार-बार के प्रयास के बावजूद सरायगढ़ भपटियाही प्रखंड क्षेत्र के कई विद्यालयों में पठन-पाठन की स्थिति में सुधार दिखाई नहीं दे रहा है। विद्यालय को व्यवस्थित बनाने में शिक्षक जहां अभिभावकों पर दोष मढ़ रहे वहीं अभिभावक शिक्षक को जिम्मेदार बता रहे हैं। इस चक्कर में कई विद्यालयों में अब पढ़ाई-लिखाई ठप होती जा रही है। इसका एक उदाहरण प्राथमिक विद्यालय बिशनपुर पुनर्वास है जहां बच्चों का नामांकन रहने के बाद भी कक्षा नहीं लगती है। अगर संयोग से किसी दिन कक्षा लगती भी है तो बच्चों की उपस्थिति काफी कम होती है।

मंगलवार तथा बुधवार को कुछ विद्यालयों का आन द स्पाट मुआयना किया गया। इस दौरान प्राथमिक विद्यालय बिशनपुर पुनर्वास में मात्र चार बच्चे उपस्थित दिखाई दिए। विद्यालय प्रधान मंजू कुमारी का कहना था कि सहायक शिक्षिका लक्ष्मी कुमारी पिछले दो वर्ष से प्रतिनियोजन पर हैं। इस कारण उन्हें अकेले विद्यालय चलाना पड़ रहा है। कहा कि विद्यालय में 65 छात्र-छात्राओं का नामांकन है लेकिन अभिभावकों की उदासीनता के चलते बच्चे नहीं आते हैं। उन्होंने बताया कि जब बच्चे आते नहीं है तो कक्षा किसकी लगाई जाएगी। बताया कि शिक्षकों की मासिक बैठक में इस समस्या को बार-बार रखा जाता है लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं होते हैं।
उत्क्रमित मध्य विद्यालय मेहता टोला नोनपार में 10:13 बजे मात्र 20 बच्चे उपस्थित थे। विद्यालय में उस समय तक रसोईया नहीं पहुंची थी जिस कारण खाना नहीं बन रहा था। पूछने पर प्रधान मीरा कुमारी ने कहा कि वहां 115 छात्र-छात्राओं का नामांकन है। गांव के लोगों में शिक्षा के प्रति जागरूकता नहीं रहने के कारण विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति नहीं होती है। प्रधान का कहना था कि कई छात्र-छात्राएं ऐसे हैं जिनका नामांकन तो विद्यालय में है लेकिन वह सभी निजी विद्यालयों में पठन-पठन करते हैं। वैसे छात्र-छात्राओं का नाम पंजी से हटा नहीं सकते। प्रधान ने कहा कि विभागीय पदाधिकारियों की कार्रवाई से बचने के लिए छात्र-छात्राओं की औसत उपस्थिति दिखानी पड़ती है।
कोसी प्राथमिक सह मध्य संस्कृत विद्यालय बनैनियां में मात्र 50 बच्चे उपस्थित मिले। विद्यालय में तीन शिक्षक मौजूद थे। शिक्षकों ने बताया कि प्रधान खेलानंद झा बीमार हैं। वे 10 दिन की छुट्टी पर हैं। शिक्षकों का कहना था कि वहां 118 छात्र-छात्राओं का नामांकन है लेकिन बच्चे कम आते हैं। सहायक ने कहा कि प्रतिदिन जो बच्चे की उपस्थिति होती है उससे प्रधान को अवगत करा दिया जाता है और विभागीय वेबसाइट पर प्रधान ही छात्र-छात्राओं की दैनिक उपस्थिति भेजते हैं।
उत्क्रमित मध्य विद्यालय पिपरा खुर्द पुनर्वास में मात्र 52 छात्र-छात्रा उपस्थित मिले। विद्यालय में उस समय तीन शिक्षक मौजूद थे। प्रधान ने बताया कि वहां 250 छात्र-छात्राओं का नामांकन है। जब डे स्कूल था तब उपस्थिति काफी रहती थी लेकिन जब से मार्निंग स्कूल हुआ उपस्थिति घट गई। कहा कि यहां कई ऐसे छात्र-छात्राओं का नामांकन है जो माह में भी कभी विद्यालय नहीं आते हैं फिर भी उसका नाम नामांकन पंजी में दर्ज है।
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बच्चों को नहीं परोसे जाते फल या अंडा
कई छात्र-छात्राओं तथा अभिभावकों का कहना था कि विद्यालयों में अब शुक्रवार के दिन फल या अंडा नहीं दिया जाता है। प्रधान का कहना होता है कि इसके लिए विभागीय स्तर से राशि उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। कुछ अभिभावकों ने बताया कि कोरोना संक्रमण काल के बाद से जब विद्यालयों का संचालन शुरू हुआ तभी से फल या अंडा का वितरण बंद है। लोगों ने मिड डे मील में गड़बड़ी के लिए मध्याह्न भोजन के प्रखंड प्रभारी संजीव कुमार निराला को जिम्मेदार बताया।
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बोले प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी
विद्यालयों में शुक्रवार के दिन फल या अंडा वितरण नहीं करने के सवाल पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने कहा कि ऐसे विद्यालयों को चिन्हित कर उसके प्रधान से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। कहा कि किसी भी स्थिति में बच्चों को फल या अंडा देना जरूरी है। उन्होंने कहा कि कुछ शिक्षक और शिक्षिका काफी समय से प्रतिनियोजन पर हैं। ऐसे शिक्षक और शिक्षिकाओं को उनके मूल विद्यालय में वापस भेजा जाएगा। गड़बड़ी करने वाले प्रधान के खिलाफ कार्रवाई होगी।

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