दो वर्ष सात महीना तीन दिन में आया यह फैसला

जागरण संवाददाता, सुपौल : जिले की बहुचर्चित ट्रिपल गैंगरेप के बाद एक पीड़िता की गोली मारकर की गई हत्या मामले में बुधवार को घटना में शामिल छह अपराधियों में से चार को कोर्ट ने फांसी की सजा सुना दी है जबकि दो अपराधी सनमोल यादव व मु.नवीर घटना के बाद से ही फरार बताए जा रहे हैं। इधर घटना के 2 वर्ष 7 माह 3 दिन बाद जब कोर्ट द्वारा फैसला सुनाया गया तो घटना को जानने वाले हर लोगों के चेहरे पर खुशी थी। घटना को निर्णय तक पहुंचाने में अनुसंधानकर्ता की भी कोर्ट द्वारा तारीफ की गई।

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2 वर्ष 7 माह 3 दिनों का संक्षिप्त इतिहास
लोगों की रूह कंपा देने वाली यह घटना 08 अक्टूबर 2019 को हुई। इसके बाद 30 नवंबर को पुलिस द्वारा चार्जशीट दाखिल किया जाता है। चार्जशीट दाखिला उपरांत 13 जनवरी 2020 को आरोप पत्र गठित किया गया। जिसके बाद कोर्ट द्वारा 06 अक्टूबर 2020 को संज्ञान लिया गया। कोर्ट की कार्रवाई के दौरान कुल 12 गवाह पेश किए गए थे जिसमें 01 फरवरी 2020 को पीड़िताओं का तथा 02 फरवरी 2021 को अभियुक्तों का बयान दर्ज किया गया। डाक्टर की गवाही 09 दिसंबर 2021 को ली गई है। कोर्ट में पेश किए गए अधिकांश गवाहों ने घटना का समर्थन किया। गवाही के दौरान डाक्टर द्वारा कोर्ट को जो बताया गया उसके मुताबिक जिस पीड़िता को गोली मारी गई थी उनके साथ सिर्फ दुष्कर्म की घटना ही नहीं हुई बल्कि उसके आंतरिक अंग को भी काफी क्षति पहुंचाया गया था। इसके अलावा अन्य पीड़िता के साथ भी मारपीट की गई। कोर्ट ने इस मामले में 26 अप्रैल को दोषी करार किया। इसके बाद इस घटना को जघन्य अपराध मानते हुए 11 मई को फैसला दिया।
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पीड़िता को दी जाएगी सहायता राशि
कोर्ट ने अपने फैसले में पीड़िताओं को आर्थिक मदद देने की भी बात कही है। कोर्ट ने सरकार से कहा है कि दुष्कर्म की शिकार हुई नाबालिग व एक पीड़िता को सहायता राशि के तौर पर 8.50 लाख रुपये दे। वहीं एक अन्य पीड़िता जिनकी मौत हुई थी उन्हें 18.5 लाख रुपये देने को कहा है। यह राशि मृतका के पति व पिता के बीच बराबर हिस्से में बांटे जाएंगे। अगर सरकार द्वारा इन पीड़िता को पूर्व में कोई सहायता राशि दी गई है तो इस राशि में वह समायोजित की जाएगी।
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भगवान के घर देर है अंधेर नहीं
पीड़ित स्वजनों के बीच खुशी देखी गई। मुकदमा के सूचक ने कहा कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं। उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा था। उन्हें पूर्ण विश्वास था कि इस मामले में दरिदे को कड़ी से कड़ी सजा दी मिलेगी। हालांकि फैसले में देरी का कारण कोरोना भी रहा। कोरोना संक्रमण के कारण कोर्ट की कार्यवाही थोड़ी धीमी रही बावजूद कोर्ट का फैसला सुकून देने वाला है।

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